नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को अवगत कराया कि गत एक मार्च को लोकपाल की नियुक्ति संबंधी चयन समिति की हुई बैठक में सर्वप्रथम विशिष्ट कानूनविद की रिक्ति भरने का फैसला लिया गया है।
केंद्र सरकार की ओर से मंगलवार को एटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायाधीश आर भानुमति की पीठ के समक्ष कहा कि चयन समिति में विशिष्ट कानूनविद की रिक्ति को जल्द भरने का फैसला किया गया है।
वेणुगोपाल ने बताया कि वरिष्ठ अधिवक्ता पीपी राव को समिति में एक विशिष्ट कानूनविद के तौर पर नियुक्त किया गया था, लेकिन पिछले साल उनका निधन हो जाने के बाद से यह पद खाली है।
उन्होंने बताया कि चयन समिति ने इस अदालत के आदेश का संज्ञान लिया है और सबसे पहले विशिष्ट कानूनविद की रिक्ति को भरने का निर्णय लिया गया है। उसके बाद लोकपाल की नियुक्ति को लेकर आगे बढ़ने का फैसला लिया गया है। इस पर न्यायाधीश गोगोई ने पूछा कि विशिष्ट कानूनविद की नियुक्ति कब तक हो जाएगी? एटार्नी जनरल ने कहा कि जल्द से जल्द।
याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन कॉमन कॉज की ओर से पेश जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि यह स्पष्ट है कि सरकार लोकपाल की नियुक्ति करना ही नहीं चाहती।
भूषण ने दलील दी कि यह कानून चार साल पुराना है। एक साल बाद भी इस अदालत के आदेश पालन नहीं हो पाया है। जब कॉमन कॉज ने अवमानना याचिका दायर की, तब जाकर सरकार ने एक मार्च को बैठक आयोजित की थी।
पीठ ने इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 17 अप्रेल की तारीख मुकर्रर करते हुए कहा कि उसने भूषण की दलील का संज्ञान लिया है और चार सप्ताह में देखते हैं कि सरकार क्या करती है।