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दबाव एवं दाम के लालच में काम कर रहे थे चिदंबरम : रविशंकर प्रसाद - Sabguru News
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दबाव एवं दाम के लालच में काम कर रहे थे चिदंबरम : रविशंकर प्रसाद

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दबाव एवं दाम के लालच में काम कर रहे थे चिदंबरम : रविशंकर प्रसाद
Chidambaram granted benefits for Nirav Modi a day before Lok Sabha poll results : Ravi Shankar Prasad
Chidambaram granted benefits for Nirav Modi a day before Lok Sabha poll results : Ravi Shankar Prasad
Chidambaram granted benefits for Nirav Modi a day before Lok Sabha poll results : Ravi Shankar Prasad

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने अारोप लगाया कि ‘दबाव या दाम के लालच’ में वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने चुनींदा निजी कारोबारियों को सोने के आयात की अनुमति देने के दस्तावेज़ों पर आम चुनाव की मतगणना के एक दिन पहले हस्ताक्षर किए थे।

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि क्या कोई कीमत मिली थी या कोई दबाव था या फिर कोई अहसान चुकाना था अथवा किसी पर कोई उपकार करना था। प्रसाद ने दो दिन पहले के अपने आरोपों का उल्लेख करते हुए कहा कि चिदंबरम ने सोने के आयात के संबंध में 80:20 योजना के तहत सात निजी सर्राफा कारोबारियों को अनुमति देने के दस्तावेज़ पर 15 मई को हस्ताक्षर किए थे।

जिसके अगले दिन मतगणना होनी थी और तब तक यह करीब करीब साफ हो चुका था कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सत्ता से बेदखल होने वाला है और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार आने वाली है। इन सात सर्राफा कारोबारियों में गीताजंलि और स्टार भी शामिल थे।

उन्होंने कहा कि यह एक अहम नीतिगत परिवर्तन का फैसला था और ये कदम चिदंबरम जैसे अत्यंत वरिष्ठ एवं अनुभवी राजनेता द्वारा उठाए गए जिन्हें संवैधानिक दायित्वों का भली भांति ज्ञान है और जो देश का वित्त मंत्री एवं गृह मंत्री रह चुका है।

उन्होंने कहा कि 80:20 की जिस योजना को चालू खाते के घाटे को कम करने के लिए निजी कारोबारियों को सोने के आयात से प्रतिबंधित करने के लिए शुरू किया गया था, बाद में उन्हें में चुनींदा कारोबारियों को सोने के आयात की अनुमति दे दी गई। उन्होंने सवाल किया कि क्या चिदंबरम या कांग्रेस नेतृत्व को मेहुल चौकसी और नीरव मोदी से फायदा मिला था।

प्रसाद ने कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की टिप्पणियों का जवाब देते हुए कहा कि चिदंबरम हम सबसे ज़्यादा होशियार हैं और उन्होंने कागज़ों पर 15 मई 2014 को हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति में अगर लोकतांत्रिक प्रणाली के प्रति ज़रा भी सम्मान होगा तो वह ऐसा कभी नहीं करेगा।

भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका पर उन्होंने तत्कालीन गवर्नर रघुराम राजन पर उनका नाम लिए बिना तीखा हमला किया और कहा कि चिदंबरम के हस्ताक्षर करने के बाद फाइलें ‘सुपरसोनिक गति’ से चलीं और एक ही दिन में वित्त मंत्रालय की नौ डेस्कों से इस आदेश को मंजूरी दे दी गयी और रिजर्व बैंक ने 21 मई को अधिसूचना भी जारी कर दी जबकि 26 मई को मोदी सरकार का शपथग्रहण कार्यक्रम तय हो चुका था। उन्होंने कहा कि अधिसूचना में दावा किया गया कि केन्द्र सरकार से परामर्श करने के बाद यह अधिसूचना जारी की गयी है।

उन्होंने कहा कि 16 मई को संप्रग सरकार सत्ता से बेदखल हो गई थी अौर यह साफ हो गया था कि मोदी सरकार आने वाली है तो तत्कालीन रिज़र्व बैंक प्रशासन बताए कि उसने किस केन्द्र सरकार से परामर्श किया था। आखिर उसे छह दिन प्रतीक्षा करने में क्या दिक्कत थी।

प्रसाद ने मीडिया को दो दस्तावेजों की प्रतिलिपि जारी की जिनमें से एक चिदंबरम के हस्ताक्षर वाला कार्यालय परिपत्र और दूसरा रिज़र्व बैंक द्वारा 21 मई 2014 को जारी अधिसूचना आदेश है। उन्होंने बताया कि रिज़र्व बैंक के आदेश से निजी कारोबारियों को दायरे के बाहर जाकर रियायतें दीं गईं और वे रियायतें उसके अगस्त 2013 के सोने के आयात पर रोक लगाने के निर्णय के सर्वथा विरुद्ध थीं।

उन्होंने कहा कि अधिसूचना के माध्यम से सोने के आयात के लिए इन सात सर्राफा कारोबारियों के दरवाजे खोल दिए गए और उन्हें देश के किसी भी स्थान से आयात करने और आयात की सीमा अगस्त 2013 के दो साल पहले तक किए गए अधिकतम आयात या 2000 किलोग्राम की सीमा तक आयात की की छूट दी गई थी। इसके लिए किसी भी सत्यापन से भी छूट दी गई थी।