Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
46 saal baad sultanpur mein vidhava banee suhaagan
होम Azab Gazab इस तरह सुलतानपुर में 46 साल बाद विधवा बनी सुहागिन

इस तरह सुलतानपुर में 46 साल बाद विधवा बनी सुहागिन

0
इस तरह सुलतानपुर में 46 साल बाद विधवा बनी सुहागिन
Widow Become again Bride
Widow Become again Bride
Widow Become again Bride

सुलतानपुर। उत्तर प्रदेश में सुल्तानपुर के कादीपुर क्षेत्र के तवक्कलपुर नगरा गांव में 95 वर्षीय जस्सू 46 साल बाद घर लौटने पर उनकी पत्नी प्रतापी बनी सुहागिन तथा बच्चों को पिता का आश्रय मिला।

करीब 15 साल पहले जस्सू के बड़े भाई बंसू बिन्द का निधन होने पर परिजनों ने जस्सू को भी मृत मानकर उसके भाई के साथ ही अन्तिम क्रियाकर्म कर दिया था लेकिन अब पिता घर लौट आए तो घरवालों की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा तथा सिंदूर पोंछ चुकी प्रतापी भी सुहागिन बन गई।

जस्सू के बड़े बेटे रामचेत ने बताया कि उनके पिता का मानसिक संतुलन ठीक नहीं था, अक्सर वह कई-कई दिनों तक घर से लापता हो जाते थे। वर्ष 1972 में जब लापता हुए और उनको बहुत ढूंढा गया लेकिन वह नहीं मिले। उन्होंने बताया कि पिता को ढूंढ़ने के लिए कई तांत्रिक के पास भी गए लेकिन कुछ पता नहीं चला।

लोगो ने परेशान हो कर किया बंदर का ये हाल || देखिये ये वीडियो

उन्होंने बताया कि करीब 15 साल पूर्व हमारे बड़े पिता बंसू बिन्द की जब मौत हुई तो उस समय हम लोगों नेेे पिता जस्सू को भी मरा हुआ मानकर उनका भी प्रतीकात्मक दाह संस्कार कर दिया तथा सभी अंतिम क्रियाकर्म भी करवा दिए थे। पिता को मृत मानकर मां प्रतापी भी विधवा जीवन जीने लगी।

उन्होंने बताया कि हम चार भाई एवं दो बहनों ने भी अपने को अनाथ मान लिया था। इनमें से दो बेटे और एक बेटी की शादी जस्सू की आंखों के सामने हो चुकी थी।

रामचेत ने कहा कि इसे कुदरत का करिश्मा ही मानेंगे कि होलिका दहन की रात उसे पिता के ज़िंदा होने की ख़बर मिली। ग्राम प्रधान महेंद्र वर्मा को कोतवाली कादीपुर से सूचना दी गई कि जस्सू जिंदा हैं और वह महाराष्ट्र के नागपुर में एक अस्पताल में हैं। इस समाचार ने पूरे कुनबे में खुशी की लहर दौड़ उठी और परिजन जस्सू को लेने नागपुर पहुंच गए।

इस लड़के को मार मार के किया अधमरा कमज़ोर दिल वाले न देखे यह वीडियो

नागपुर से जस्सू को लेकर जब परिजन गांव पहुंचे तो यहां पहले से खुशी में गांव के लोग और परिजन ने बैंड बाजे के साथ जस्सू का स्वागत किया। उन्हें दूल्हे की तरह सजाकर घोड़े पर बिठाकर इलाके भर में नाचते हुए घुुमाया।

नागपुर के समाज सेवा अधीक्षक अनघा राजे मोहरिल ने परिजनों को बताया कि वर्ष 1985 में सड़क के किनारे पड़े जस्सू पर मेरी नजर पड़ी। मैं उन्हें उठाकर अस्पताल ले गई और उनका उपचार शुरू कराया। डा. फारूकी और डा. प्रवीण नक्खरे ने उसका का इलाज किया।

उन्होंने बताया कि मैं और डाक्टर्स जस्सू के घर वालों के बारे में पता करने का प्रयास किया लेकिन मानसिक असन्तुलन के चलते जस्सू लखनऊ के अलावा कुछ नहीं बता पा रहे थे। थोड़े दिनों पहले जस्सू ने सुलतानपुर नाम लेना और फिर कादीपुर बताना शुरु किया। अनघा और डॉक्टरों ने जिला अधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक से किसी प्रकार संपर्क कर उन्हें घर तक पहुंचाया।