थेनी। तमिलनाडु के थेनी जिले के कुरंगानी जंगल इलाके में लगी अबतक की सबसे भयावह आग में घिरे नौ ट्रैकरों की रविवार को उस समय मौत हो गई जब वे बचने की कोशिश के दौरान गहरी खाई में गिर गए। इस प्राकृतिक आपदा में 17 जख्मी हैं और 10 लोगों को सकुशल बचा लिया गया है।
जिलाधिकारी पल्लवी बलदेव ने सोमवार को संवाददाताओं को बतााया कि मृतक ट्रैकरों में छह चेन्नई के थे जबकि तीन अन्य इरोड जिले के रहने वाले थे।
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राहत और बचाव कार्य में जुटे वायु सेना के कमांडो ने आग के बीच से निकाकर शवों को हेलीकॉप्टर की मदद से थेनी सरकारी अस्पताल पहुंचाया। आग से घिर जाने के बाद में उससे बचने की कोशिश के दौरान सभी नौ लोग गहरी खाई में जा गिरे जिससे उनकी मौत हो गई।
बलदेव ने बताया कि राहत और बचाव दल ने सोमवार सुबह तक 27 लोगों को बाहर निकाल लिया था जिनमें कई नाबालिग लड़कियां और महिलाएं हैं। इनमें 17 लोग जख्मी हैं जिनमें से कुछ लोगों की हालत गंभीर है।
वायु सेना के सुलुर एयरबेस से सोलह कमांडो और तीन हेलिकॉप्टरों को सुबह बचाव कार्य में लगाया गया। बचाव कार्याें में कुरंगानी जंगल में आग की गर्मी का सामना करने के लिए जीपीएस गैजेट और सूट से लैस आईएएफ कमांडों जुटे हुए हैं जबकि वायु सेना के दो हेलीकॉप्टर भी राहत-बचाव अभियान में लगे हुए हैं।
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थेनी सरकारी अस्पताल परिसर में एक अस्थाई हेलीपैड का निर्माण किया गया है ताकि जंगल से लाए गए घायलों को तत्काल बेहतर इलाज के लिए वायु मार्ग के जरिए ले जाया जा सके। वायु सेना के हेलाकॉप्टर आग पर काबू पाने के लिए ऊपर से रासायन मिश्रित घोल के छिड़काव कार्य में भी लगे हुए हैं।
राज्य के उप मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम और कई मंत्री राहत और बचाव कार्याें की निगरानी कर रहे हैं। मदुरै सर्किल के वन संरक्षक आर के जेगानिया ने कहा कि चेन्नई स्थित ट्रैकिंग क्लब ने पश्चिमी घाट में कुरंगानी से बोडी तक ट्रेकिंग अभियान के लिए वन विभाग से अनुमति नहीं हासिल की थी।
गत शुक्रवार की रात 26 महिलाओं, तीन बच्चों और आठ लोगों समेत 36 सदस्यीय टीम ने अनाधिकृत ट्रैक की शुरुआत की और शनिवार को केरल के जंगल के निकट पहुंच गई। उन्होंने रविवार सुबह तमिलनाडु की सीमा पर कुरंगानी वन क्षेत्र में कोलुककुमलाई पहाड़ियों से ट्रैक शुरू किया और उनके शाम तक बोडी पहुंचने की उम्मीद थी। इसके बाद टीम के चेन्नई वापस जाने का इरादा था।
हालांकि, टीम रविवार दोपहर जंगल में लगी आग में घीर गई। उनकी दुर्दशा का अंदाजा शाम में लगा जब केंद्र और राज्य सरकारों ने राहत और बचाव अभियान शुरु किया। कुरंगानी जंगल पिछले एक हफ्ते से आग की चपेट में है जो धीरे-धीरे उग्र होता जा रहा है। इसबार लगी आग की तीव्रता पिछले साल की तुलना में बहुत अधिक है।