सबगुरु न्यूज। जो लोग ज्योतिष शास्त्र में विश्वास करते हैं उनके लिए यह जान लेना महत्वपूर्ण है कि 9 मार्च 2018 से 10 जुलाई 2018 तक बृहस्पति ग्रह वक्री रहेंगे।
आकाश मंडल में सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने वाले ग्रह अपनी सीधी चाल से चलते चलते आपस में बने आकर्षण बल के कारण पीछे हटने लग जाते हैं। सूर्य व चंद्रमा की ही वक्र गति नहीं होती है बाकी सभी ग्रह वक्री गति कई बार होती रहती है तथा राहू और केतु तो सदा ही वक्र गति से आकाश में भ्रमण करते हैं।
वक्री ग्रह का की स्थिति अर्थात उसका बल उच्च ग्रह के समान हो जाता है और कोई ग्रह जब वक्री ग्रह के साथ हो तो उसे आधा बल और मिल जाता है। यदि कोई ग्रह उच्च राशि का हो और वह वक्री हो जाता है उसका बल शून्य हो जाता है। ग्रह यदि नीच राशि में हो तो लेकिन वक्री हो जाता है तो वह बलवान हो जाता है और अपनी उच्च राशि के फल देता है।
उच्च ग्रह के साथ बैठा हुआ ग्रह आधा बल पाता है और नीच ग्रह के साथ बैठा हुआ ग्रह कोई बल नहीं पाता। कोई ग्रह जब किसी नैसर्गिक पापी परन्तु मित्र व नैसर्गिक मित्र परन्तु पापी ग्रह के साथ बैठा हो तो आधा बल पाता है। ऐसी मान्यता दक्षिण भारत के उत्तर कालामृत ग्रंथ की है। शुभ ग्रहों के विषय में माना जाता है कि शुभ फल देने वाले व बली हो जाते हैं।
जो ग्रह नीचगत होकर अशुभ फल देने वाला होता है यदि वह वक्री हो जाता है तो अच्छा फल देता हैं। वृहस्पति ग्रह वर्तमान में तुला राशि मे भ्रमण कर रहे हैं और 9 मार्च से अपनी वक्री गति से भ्रमण करने लग गए हैं तथा 10 जुलाई 2018 को मार्गी होंगे। ये चार माह और एक दिन तक वक्री गति से भ्रमण शील रहेंगे।
आकाशीय ग्रह वृहस्पति को ज्योतिष शास्त्र में ज्ञान, बुद्धि, विवेक और धर्म, नीति, शिक्षा, संतान, दाम्पत्य का कारक ग्रह माना जाता है। आकाश तत्व, सत्वगुणी, मधु रस, हेमन्त ऋतु, ऊंची और भारी आवाज, पीला रंग, धन, बैंक, सोना, पुखराज, चने की दाल, शरीर में उदर, जिगर, जंघा, चर्बी, शक्ति, कफ, कवि, लेखक। पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वा, भाद्रपद नक्षत्र का स्वामी व धनु मीन राशि का स्वामी होता है। कर्क राशि में उच्च का तथा मकर राशि में नीच का होता है।
वक्री गति से वृहस्पति ग्रह का भ्रमण वर्तमान में तुला राशि में हो रहा है, इसलिए ये देश व दुनिया में अपने शुभ परिणाम देगा। विश्व की आर्थिक मंदी में आक्सीजन देता हुआ ये विश्व के आयात निर्यात में वृद्धि करेगा। बैंक, बीमा, वित्त, व्यापार को बढा देगा।
विश्व स्तर पर शिक्षा के लिए कई योजनाएं लागू होंगी और शिक्षा के क्षेत्र में चहुमुखी विकास करेगा। पीले रंग की वस्तुएं व धातु के कारोबार तथा लेखन व साहित्य में प्रगति होगी। शुक्र ग्रह की राशि में होने के कारण कलात्मक व वैभवशाली वस्तुओं के कारोबार में वृद्धि होगी। फिल्म जगत व सुगंधित वस्तु के कारोबार मे वृद्धि होगी।
जहां शुभ व मांगलिक कार्य कई समय से नहीं हो रहे हैं वे तुरंत होने लग जाएंगे। संतान, शिक्षा, दाम्पत्य जीवन जिनका ठीक नहीं था वह ठीक होकर निर्णायक हो जाएगा। व्यापार, उद्योग धंधों में उन्नति होगी तथा धन, बैंक, वित्त आदि के मामले में बृहस्पति ग्रह का एक अभूतपूर्व योगदान रहेगा।
इन्हीं चार महिनों में चूंकि मंगल ग्रह व शनि ग्रह के सुखद परिणाम नहीं आएंगे और इनके जख्मों को गुरू ग्रह मुनाफे का मरहम लगाएंगे। कुल मिलाकर ज्योतिष शास्त्र में वक्री ग्रह को अच्छा फल देने वाला बताया गया है, बशर्ते वे ग्रह अपनी उच्च राशि में नहीं बैठा हो।
गुरू ग्रह जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली उच्च राशि में हो तो ही उस व्यक्ति को परेशान कर सकता है बाकी सब राशि वालों को शुभकारी परिणाम ही मिलेंगे। निचस्थ राशि में गुरू ग्रह हो, जन्म कुंडली में हो तो वो भी अच्छे परिणाम ही देगा। ऐसी मान्यताएं ज्योतिष शास्त्र में है।
सौजन्य : भंवरलाल