जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भर्ती प्रक्रिया में सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा है कि जब से राज्य में वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी है, तब से सरकारी नौकरियां एक तमाशा बन कर रह गयी है।
गहलोत ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि बार-बार परीक्षाओं के पेपर लीक हो रहे हैं, चयन प्रक्रिया निरस्त की जा रही है और अगर परीक्षाएं हो भी गयी है तो उनके परिणाम रोके जा रहे हैं।
इस प्रकार की संदेहास्पद स्थिति उत्पन्न होने पर सरकारी नौकरियों के अनेक मामले न्यायालयों में भी जा रहे हैं जिससे बेरोजगारों को नौकरी मिलने के अवसर अटक रहे हैं। ऐसे हालातों में युवा बेरोजगार परेशान एवं आक्रोशित है। उन्होंने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में सरकार की इस प्रकार की लापरवाही पहली बार देखने को मिल रही है।
उन्होंने कहा कि जानकारी में आया है कि सरकारी स्तर पर प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित करने का काम ऐसी निजी कम्पनियों को दिया जा रहा है जो पहले से ही दूसरे प्रदेशों में ‘ब्लेक लिस्टेड‘ थी और अब वे अपना नाम बदलकर प्रदेश में काम कर रही हैं। ये युवा बेरोजगारों के हितों पर कुठाराघात है। इसकी विस्तृत जांच होनी चाहिए एवं दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राजे के इशारे पर राजस्थान लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष हबीब खान गौरान पर बिना किसी पुख्ता आधार के आरोप लगाकर उन्हें इस्तीफे के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने कहा कि इस तरह बदले की भावना से काम करने से प्रदेश का माहौल बिगड़ना स्वाभाविक है।
गहलोत ने कहा कि बेरोजगार युवकों द्वारा योग्यता के आधार पर रिक्त पड़े पदों को भरने के लिये प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर किये गये प्रदर्शन के दौरान उन पर लाठीचार्ज किया गया। हाल में प्रधानमंत्री की झुन्झुनूं रैली के समय एनआरएचएम के संविदाकर्मियों द्वारा किए गए शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन को भी प्रतिशोध का आधार बनाया जा रहा है और पहले उन्हें गिरफ्तारी का भय दिखाया गया और अब उन्हें सेवा से हटाये जाने की कार्यवाही की जा रही है।
उन्होंने कहा कि चुनावों के दौरान राजे ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहते पन्द्रह लाख युवाओं को सरकारी नौकरियां देने का वादा किया था। लेकिन सरकार बनने के पश्चात साढे चार साल का समय गुजरने के बाद भी बेरोजगारों के लिए नौकरियां एक सपना बन कर रह गई है।