पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दरभंगा और भागलपुर में सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की कोशिश करने वालों को कड़ी चेतावनी देते हुए मंगलवार को कहा कि समाज में सांप्रदायिक तनाव फैलाने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
कुमार ने यहां जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के ‘समृद्धशाली बिहार, गौरवशाली बिहार : युवाओं की भूमिका’ विषय पर आधारित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि दरभंगा में हाल ही में एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई। हत्या का कारण चौक का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर होना बताया गया, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ। उन्होंने कहा, “जब मैने पुलिस महानिदेशक से मामले के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि हत्या का कारण दो परिवारों के बीच भूमि विवाद है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर बताया था कि दरभंगा हत्याकांड का चौक का नाम मोदी होने से कोई लेनादेना नहीं है। हत्या का मूल कारण भूमि विवाद है। उन्होंने कहा कि मीडिया ने उप मुख्यमंत्री के ट्वीट को प्रमुखता से स्थान तो नहीं दिया लेकिन केंद्रीय मंत्री के उस बयान को जबरदस्त कवरेज दी जिसमें उन्होंने कहा कि हत्या मोदी चौक नाम रखने के कारण हुई है। इससे विवाद और बढ़ गया।
कुमार ने कहा कि राज्य में सांप्रदायिक सदभाव कायम रखना केवल सरकार की जिम्मेवारी नहीं है बल्कि इसमें मीडिया की भी अहम भूमिका होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति उत्तेजना फैलाने वाले बयान देता है तो मीडिया का दायित्व है कि उसे ज्यादा कवरेज न दे। इससे सरकार को राज्य में कानून व्यवस्था बनाये रखने में मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में सांप्रदायिक सदभाव बरकरार रखने के लिए सरकार प्रतिबद्ध हैं और इसे बिगाड़ने का प्रयास करने वालों को किसी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के मुद्दे की तरह सांप्रदायिक सद्भाव खराब करने की कोशिश करने वालों से किसी हालत में समझौता नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि मैं पांच बार सांसद रहा हूं और मुझे समाज के हर वर्ग ने वोट दिया है। मेरी जिम्मेदारी सबके प्रति है। प्रेम अच्छे व्यवहार से होता है। सत्ता सेवा के लिए हैं, मेवा के लिए नहीं। कुछ लोग समझते हैं कि सत्ता मेवा पाने के लिए है। हमारी प्रतिबद्धता बिहार और राज्य के लोगों के प्रति है। हमने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया है, चाहे वे ऊंची जाति के हाें, पिछड़ी जाति के हाें, अति पिछड़ी जाति के हाें, दलित हाें, महादलित हों, पुरुष हाें या महिला हाें। सद्भाव बिगाड़कर तत्काल लाभ प्राप्त किया जा सकता है लेकिन इससे दीर्घकालिक रूप से काफी नुकसान होता है।
कुमार ने भागलपुर में बिना अनुमति के जुलूस निकालने और उसके बाद दो पक्षों के बीच हुई हिंसक झड़प के संबंध में कहा कि इस मामले में प्रशासन ने केंद्रीय मंत्री के पुत्र के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि यह सरकार की प्रतिबद्धता का ही उदाहरण है कि कानून का उल्लंघन करने वाले को बख्शा नहीं गया चाहे वह कितना ही रसूखदार क्यों न हों।
मुख्यमंत्री ने इस मामले में सोशल मीडिया पर झूठी अफवाह फैलाने में संलिप्त लोगों को भी कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि एेसी हरकतों से समाज में तनाव उत्पन्न होता है और मामला भयावह रूप धारण न करे इसके लिए कभी-कभी स्थानीय प्रशासन को उस क्षेत्र में इंटरनेट सेवा बंद करने पर मजबूर होना पड़ता है।
कुमार ने कहा कि पिछले वर्ष जिन आरोपों के आधार पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने तत्कालीन उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी, केवल उस पर जनता के बीच जाकर उन्हें जवाब देने को कहा गया था लेकिन वह ऐसा करने में विफल रहे। उन्होंने कहा कि यादव का ऐसा नहीं करना ही उनका महागठबंधन से अलग होने का कारण बना।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ नेता लोगों को गुमराह कर रहे हैं कि पिछड़ों और वंचितों को मिलने वाला आरक्षण समाप्त किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संविधान में लक्षित समूहों को आरक्षण दिये जाने का प्रावधान किया गया है और इसे कोई समाप्त नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने का कोई साहस भी नहीं कर सकता है।
कुमार ने कहा कि वर्ष 1990 में केंद्र की वीपी सिंह सरकार द्वारा लागू की गई मंडल आयोग की अनुशंसाओं को तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने वर्ष 1993 में बिहार में भी लागू करने का प्रयास किया था। इसका उन्होंने भारी विरोध किया था जिसके बाद श्री यादव ने इसका इरादा छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि यादव का यह प्रयास उन लोगों के लिए अन्याय होता जिन्हें पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर द्वारा लागू किये गये आरक्षण फॉर्मूले का लाभ मिल रहा था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कर्पूरी ठाकुर के फॉर्मूले के आधार पर ही सरकारी सेवाओं में आरक्षण का लाभ देने के उद्देश्य से पिछड़ा वर्ग के लिए एनेक्स्चर एक और एनेक्स्चेर दो का प्रावधान किया गया था। उन्होंने कहा कि ज्यादा पिछड़ा वर्ग को एनेक्स्चर एक में रखा गया था जबकि उनसे बेहतर स्थिति वाले पिछड़ों को एनेक्स्चर दो में रखा गया था।
कुमार ने कहा कि मंडल आयोग की अनुशंसा में पिछड़ा वर्ग के लिए एनेक्स्चर एक एवं एनेक्स्चर दो का प्रावधान नहीं किया गया था और आरक्षण पाने के पात्र लोगों के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की श्रेणी बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि यदि मंडल आयोग की अनुशंसाओं को राज्य में लागू कर दिया गया होता तो जिन्हें आरक्षण की सबसे अधिक जरूरत थी उन्हें नुकसान होता।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने पंचायती राज और नगर निकाय संस्थाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया। अनसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों में जो अति पिछड़े हैं, उनको भी आरक्षण दिया है।