SABGURU NEWS | नयी दिल्ली देश में शोध कार्य एवं नवाचार को बढ़ावा देने तथा रोजमर्रा की समस्याओं के समाधान के लिए विश्व का सबसे बड़ा दूसरा स्मार्ट इंडिया हेकाथान 30 मार्च से शुरू होगा जिसमें एक लाख से अधिक छात्र भाग लेंगे।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने आज यहाँ इस दो दिवसीय हेकाथान के बारे में बताया कि दुनिया भर में हेकाथान होते हैं लेकिन उनमें एक विश्वविद्यालय या एक कंपनी भाग लेती है लेकिन पिछले साल भारत ने देश के स्तर पर दुनिया का सबसे बड़ा हेकाथान किया जिसमें 40 हज़ार छात्रों ने भाग लिया। इसमें बारह सौ इंजीनियरिंग तथा IIT के छात्र शामिल हुए थे।
उन्तीस मंत्रालयों ने अपने 600 प्रॉब्लम्स दिए थे। बारह सौ टीमों ने 26 केन्द्रों पर भाग लिया था। फाइनल राउंड में आठ हज़ार छात्रों ने हिस्सा लिया। इसमें 135 टीमों को पुरस्कार मिला। सत्तावन टीमों ने उत्पादों को अंतिम रूप दिया और पहली बार देश में हेकाथन से 27 नए शोध हुए।
उन्होंने बताया कि इस बार 30 और 31 मार्च को स्मार्ट इंडिया हेकाथान होगा। इसमें एक लाख से अधिक छात्र भाग लेंगे, इसमें 17400 सौ टीमे टीमें भाग लेंगी। बारह हज़ार तीन सौ टीमें सॉफ्टवेयर पर और पांच हज़ार टीमें हार्डवेयर पर काम करेंगी। यह हेकाथान 28 केन्द्रों पर होगा। यह हेकाथन बार हार्ड वेयर के लिए भी होगा लेकिन यह जून में होगा।
इस बार राज्य भी भाग ले रहे हैं। कुल सत्र राज्य भाग लेंगे। मंत्रालयों ने बारह सौ में से 408 प्राब्लेम्स चुने हैं। इनमें तीन सौ चालीस सॉफ्टवेयर के 68 हार्डवेयर के हैं। अंतिम राउंड में बारह सौ छाछठ टीमें होंगी, हर टीम में छह छात्र और दो शिक्षक होंगे। पिछले तीन महीने से ये छात्र काम कर रहे थे और वे लगातार 36 घंटे काम करेंगे।
उन्होंने बताया कि पिछले साल इसरो ने पेन ड्राइव की समस्या डी थी जिसमें एक पेन ड्राइव से डाटा चोरी हो जाती है। हेकाथान के छात्रों ने इसे सुलझाया और ऐसा पेन ड्राइव बनाया जिसमें डाटा दूसरे कंप्यूटर में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। वह केवल एक में ही दिखेगा। छात्रों ने हवाई अड्डे में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एक नयी इमेज बनाई है।
आयुष के लिए छात्रों ने आरोग्य के लिए गेम्स बनाया है और बूढ़े लोगों के स्मृति लोप को दूर करने के लिए मोबाइल गेम्स बनाये हैं। यह सब हेकाथान से संभव हुआ है। उन्होंने बताया कि कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं। मसलन जंगल में कब और कहां आग लगी, इसका तत्काल पता नहीं चलता। इन समस्यायों में राजस्थान में पानी के टैंकरों का पता लगाना भी शामिल है। यह सब समाधान हेकाथान से किया जा रहा हैं।