नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसले में दो वयस्कों की आपसी सहमति से की गई शादी को तोड़ने की नीयत से किसी भी तरह की खाप पंचायतों अथवा सभा के फैसले को गैर कानूनी घोषित कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अपने निर्णय में कहा कि दो व्यस्कों की आपसी सहमति से की गई शादी को तोड़ने के लिए की जाने वाली गैर कानूनी बैठकों या सभाओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि जब तक केंद्र सरकार इस मसले पर कानून नहीं ले आती, तब तक यह आदेश प्रभावी रहेगा। तीन न्यायाधीशों की पीठ में न्यायाधीश एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे।
उच्चतम न्यायालय ने खाप पंचायत के खतरे से निपटने के लिए कदम निर्धारित करेगी। सुप्रीमकोर्ट ने एक गैर सरकारी संगठन शक्ति वाहिनी की याचिका का भी निपटारा कर दिया जिसमें एनजीओ ने आपसी सहमति से दो वयस्कों की शादी को तोड़ने के लिए होने वाली खाप पंचायतों के लिए विस्तृत दिशा निर्देशों तय करने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।