अजमेर। राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 806वें सालाना उर्स आज नवी के बड़े कुल की रस्म के साथ विधिवत रूप से संपन्न हो गया। इसी के साथ उर्स का झंडा भी उतार लिया गया।
बड़े कुल की रस्म में देश विदेश प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए जायरीनों ने भाग लेकर ख्वाजा साहब के प्रति जहां अपनी आस्था व्यक्त की वहीं धार्मिक रस्म की अदाई करते हुए दरगाह परिसर को पानी से धोया।
अंजुमन सैयदजादगान के सचिव एवं उर्स संयोजक सैयद वाहिद हुसैन अंगारा ने बताया कि सुबह से ही दरगाह की दीवारों को गुलाब जल एवं केवड़े से धोना शुरू किया गया। आस्ताने पर यह रस्म खुद्दाम-ए-ख्वाजा ने निभाई।
यह क्रम धीरे धीरे बढ़ते हुए आस्ताने से जन्नती दरवाजा, पायंती दरवाजा, आहता-ए-नूर व बेगमीदलान तक पहुंच गया जहां जायरीनों ने धुलाई कर उसका पानी तवर्रूक के रूप में बोतलों में एकत्रित किया।
उसके बाद पूरी दरगाह परिसर को पानी से धोया गया। कुल की रस्म के बाद आहता-ए-नूर में अंजुमन की ओर से मुल्क की खुशहाली एवं भाईचारे के लिए दुआ की गई। अंजुमन की ओर से सभी को उर्स की मुबारकबाद दी गई। कुल की फातिहा के बाद उर्स का विधिवत समापन हो गया। उर्स समापन के बावजूद दरगाह क्षेत्र पूरी तरह रौनक लिए है।
ख्वाजा का दामन नहीं छोड़ेंगे, मेरा ख्वाजा हिन्द का राजा जैसी आवाजें बुलंद है वहीं खूबसूरत एवं दिलकश चादरों को चढ़ाने एवं चूमने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। आस्ताना शरीफ में जायरीन की लंबी कतारें लगी हुई है और प्रशासनिक व्यवस्थाएं भी दरगाह एवं मेला क्षेत्र में बनी हुई है।
उल्लेखनीय है कि गत 14 मार्च को परम्परागत झंडा चढाने के साथ उर्स की अनौपचारिक शुरुआत हुई और रजब का चांद दिखने के बाद 19 मार्च को छह दिवसीय उर्स विधिवत शुरु हुआ। जिसका 25 मार्च को कुल की रस्म के साथ समापन हुआ और बुधवार को बड़े कुल की रस्म के इसका विधिवत सम्पन्न हो गया।