सोशल मीडिया पर वायरल हुआ माउण्ट आबू पालिकाध्यक्ष का विवादित बयान वाला वीडियो
सबगुरु न्यूज-माउण्ट आबू। पालिकाध्यक्ष के खिलाफ रोष प्रकट करने के लिए राजस्थान का प्रमुख पर्यटन स्थल माउण्ट आबू 11 अप्रेल को पूर्णतः बंद रहेगा। माउण्ट आबूवासियों ने फेसबुक और सोशल मीडिया पर लिखी गई माउण्ट आबू पालिकाध्यक्ष के माफीनामे को कथित रूप से गलत तथ्य लिखने के कारण नकार दिया है।
देशभर में 2 अप्रेल को बंद के दौरान माउण्ट आबू में भी अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों की रैली निकाली गई। माउण्ट आबू पालिकाध्यक्ष द्वारा कथित रूप से माउण्ट आबू के व्यापारियों के खिलाफ और वहां सामाजिक विद्वेष फैलाने के लिए की गई टिप्पणी पर माउण्ट आबू वासियों में रोष फैल गया।
माउण्ट आबू पालिकाध्यक्ष ने सोमवार रात करीब साढे नौ बजे फेसबुक वाॅल पर माफी मांगते हुए अपने शब्द वापस लेने की बात लिखी है, लेकिन माउण्ट आबू वासियों ने उनकी इस तरीके लिखी गई माफी को नामंजूर करते हुए 11 अप्रैल के बंद के निर्णय को यथावत रखा है।
इस दिन व्यापारी मौन जुलूस निकालकर उपखण्ड अधिकारी को पालिकाध्यक्ष की टिप्पणी के खिलाफ ज्ञापन भी देंगे। आवश्यक सेवाओं, शैक्षणिक प्रतिष्ठानों और होटल में चेक इन को इस स्वैच्छिक बंद से मुक्त रखा गया है।
माउण्ट आबू के लोगों ने पिछले सप्ताह उपखण्ड अधिकारी सुरेश ओला को ज्ञापन देकर माउण्ट आबू पालिकाध्यक्ष सुरेश थिंगर पर 2 अप्रैल की रैली में कथित रूप से माउण्ट आबू के व्यापारियों के खिलाफ टिप्पणी की थी।
माउण्ट आबू वासियों का आरोप था कि इसी दौरान थिंगर ने सामाजिक विद्वेष फैलाने के लिए दलित समाज को अपने उत्सव अलग से मनाने के लिए भी उकसाया। इससे माउण्ट आबू के सामाजिक सौहार्द के ढांचे पर चोट पहुंची।
इन लोगों ने ज्ञापन में माउण्ट आबू पालिकाध्यक्ष सुरेश थिंगर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। ऐसा नहीं करने पर 10 अप्रेल को माउण्ट आबू बंद रखने की चेतावनी दी थी।
लेकिन, 10 अप्रैल को पूरे देश में आरक्षण के विरोध में कथित रूप से सामान्य एवं ओबीसी के लोगों के बंद की सोशल मीडिया पर चर्चा चलने के कारण प्रशासन ने माउण्ट आबू वासियों से इस दिन बंद रखने पर लोगों के बीच यह संदेश जाने का अंदेशा जताया।
प्रशासन की बात मानते हुए वहां के व्यापारियों और स्थानीय निवासियों ने सिर्फ पालिकाध्यक्ष के खिलाफ विरोध होने का संदेश देने के लिए दस अप्रैल को बंद रखने का विचार टाल दिया, लेकिन नौ अप्रैल से ही सोशल मीडिया 11 अप्रैल को बंद रखने के संदेश प्रसारित होने लगे।
दिनभर यह संदेश चलते रहे। इसी बीच रात को करीब साढे नौ बजे बाद में सुरेश थिंगर के फेसबुक वाल पर दो अप्रैल को किए गए अपने कथित विवादास्पद बयान पर खेद जताया और अपने शब्द वापस लेने की बात लिखी।
थिंगर ने दो अप्रैल को विवाद उठने से लेकर 9 अप्रैल तक अपने बयानों पर न तो कोई टिप्पणी की और न ही माफी मांगी। इससे एकाएक आए उनके बयानों को पार्टी या किसी अन्य दबाव में लिया गया फैसला भी माना जा रहा है।
फेसबुक और सोशल मीडिया पर थिंगर द्वारा मांगी गई माफी को माउण्ट आबू वासियों ने नकार दिया। उनकी दलील थी कि थिंगर ने इसमें भ्रमित करने का प्रयास किया है कि यह रैली भीमराव अंबेडकरजी की थी। आबू समानता मंच के नेतृत्व में आयोजित इस बंद से आवश्यक सेवाओं को अलग रखा गया है। होटल्स के अंदर चेक इन अलाउड है।
-भाजपा जिलाध्यक्ष गोठवाल ने सीएलजी बैठक में मांगी माफी
भाजपा जिला उपाध्यक्ष भी अपनी फेसबुक वाॅल पर ब्राह्मण और राजपूतों के खिलाफ की गई अभद्र टिप्पणी पर घिरे रहे। गोठवाल के खिलाफ भी सोशल मीडिया पर अभियान चल चुका है। इन्हें भाजपा से निकालने को लेकर लगातार मांग उठ रही है।
दस अप्रैल को बंद को सोशल मीडिया पर बंद को लेकर चल रही अफवाह के संबंध में आबूरोड में आयोजित सीएलजी बैठक में गोठवाल ने भी सभी गणमान्य लोगों की मौजूदगी में अपनी टिप्पणी पर क्षमा याचना की, लेकिन वहां भी लोग सामाजिक द्वेष फैलाने के उनकी हरकत के लिए गुस्सा दिखाया।
-इनका कहना है…
व्यापारिक संगठनों के प्रमुख और गणमान्य लोगों ने मौन रैली निकालने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है। उन्होंने बताया है कि यह रैली किसी समाज के खिलाफ नहीं होकर पालिकाध्यक्ष के बयानों के खिलाफ है। हमने इस मसले को हल करने के लिए सीएलजी बैठक में पालिकाध्यक्ष को आमंत्रित किया था, लेकिन किसी कारणवश वह आ नहीं पाए थे।
सुरेश ओला
उपखण्ड अधिकारी, माउण्ट आबू।
कल पूरा माउण्ट आबू बंद रहेगा। नक्की बाजार भी इस स्वैच्छिक बंद में शामिल रहेगा।
अशोक वर्मा
अध्यक्ष, नक्की व्यापार एसोसिएशन, माउण्ट आबू।
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