सबगुरु न्यूज-माउण्ट आबू। भाजपा के पालिकाध्यक्ष के खिलाफ माउण्ट आबू में पल रहा आक्रोश बुधवार को सडकों और बाजारों पर नजर आया। व्यापारियों और समाज को तोडने के लिए की गई माउण्ट आबू पालिकाध्यक्ष की कथित टिप्पणी के खिलाफ माउण्ट आबू में अभूतपूर्व बंद रहा
इस दौरान निकाली गई मौन रैली में हर जाति, धर्म, उम्र और वर्ग का व्यक्ति अपने हाथ में विरोध के प्रतिरूप के रूप में काला रिबन बांध शामिल हुआ। बाद में आबू समानता मंच के तत्वावधान में उपखण्ड अधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर पालिकाध्यक्ष सुरेश थिंगर पर कार्रवाई की मांग की गई।
माउण्ट आबू पालिकाध्यक्ष सुरेश थिंगर को राजनीति रैली में अति उत्साह अब भारी पडता नजर आ रहा है। माउण्ट आबू में दो अप्रेल को आयेाजित रैली में उनके द्वारा व्यापारियों के खिलाफ तथा समाज को तोडने के संबंध में की गई टिप्पणी की चहुंओर निंदा हो रही है वहीं माउण्ट आबू वासियों मे जबरदस्त आक्रोश भी पल रहा है।
इसे लेकर पांच अप्रेल को व्यापारिक संगठनों के प्रमुखों ने उपखण्ड अधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर थिंगर पर कार्रवाई का अनुरोध किया था। कार्रवाई नहीं करने पर व्यापारियों व माउण्ट आबू वासियों ने माउण्ट आबू की सामाजिक समरसता बनाए रखने के लिए बुधवार को आबू समानता मंच के आह्वान पर स्वैच्छिक बंद की घोषणा की। इसकी परिणिति बुधवार को सवेरे से ही देखने को मिली।
माउण्ट आबू के टोल नाके से लेकर गुरुशिखर तक सभी बाजार बुधवार को पूर्णतः बंद रहे। दुकानदार और स्थानीय लोग बस-स्टैण्ड पर एकत्रित हुए। यहां से हाथ में सुरेश थिंगर को हटाने, उन्हें गिरफ्तार करने, उनके खिलाफ कार्रवाई करने के नारे लिखी तख्तियंा लेकर मौन रैली निकाली। इस रैली में सैंकडों माउण्ट आबू वासी शामिल थे।
सभी लोगों ने उपखण्ड अधिकारी कार्याल पहुंचकर उपखण्ड अधिकारी सुरेश ओला को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर थिंगर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस मुद्दे पर जिले भर के भाजपा नेताओं ने मुंह सिल लेने और माउण्ट आबू की हर गतिविधि में हिस्सा लेने वाले जालोर-सिरोही के सांसद के मौन धारण किए हुए होने से भी स्थानीय लोगों का गुस्सा कम नहीं हो रहा है। यह स्वेच्छिक बंद और रैली भाजपा के लिए एक चिंता का विषय है।
वैसे सुरेश थिंगर ने अपनी फेसबुक वाल पर इस प्रकरण को लेकर अपने शब्द वापस लेने की बात कही थी, लेकिन माउण्ट आबू वासी सार्वजनिक सभा में किए गए अपमान और समाज को तोडने की बात के मुद्दे पर फेसबुक पर माफी से संतुष्ट नहीं हैं।
-आवश्यक सेवाओं को रखा दूर
बंद से आवश्यक सेवाओं को दूर रखा गया था। स्कूल, दूध, सब्जी और इस जैसे व्यवसाय जो माउण्ट आबू के सामान्य नागरिकों के जीवन को प्रभावित करता है उसे बंद मंे शािमल नहीं किया गया था। किसी ने भी किसी भी व्यापारी या दुकानदार पर अपने प्रतिष्ठान बंद रखने का दबाव नहीं डाला। बंद के दौरान निकाली गई रैली में जितने लोग शामिल थे और करीब दो किलोमीटर लम्बे रैली मार्ग पर जिस तरह से सब लोग अनुशासित थे उससे लोगों के अंदर पालिकाध्यक्ष के खिलाफ गुस्से का अंदाजा लगाया जा सकता है।
देखें माउंट आबू पालिकाध्यक्ष के खिलाफ लोगों का मौन आक्रोश….