अजमेर। संभाग के सबसे बडे जवाहरलाल नेहरु अस्पताल में फैल रहे भ्रष्टाचार पर शहर कांग्रेस ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक को मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है। कांग्रेस की ओर से भ्रष्टाचार निरोधक विभाग को बताया गया है कि अस्पताल में उपकरणों की खरिद व हृदय रोगियों को स्टेंट लगाने में लाखों रुपए का भ्रष्टाचार हो चुका है जो विस्तृत जांच किए जाने के बाद सामने आ सकता है।
शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन की ओर से भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक को भेजे गए पत्र की जानकारी देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता मुजफ्फर भारती ने बताया कि जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में हृदय रोगियों को स्टंट लगाने से लेकर कलर डॉप्लर मशीन खरीदने और इंस्टॉलेशन तक में लाखों रुपए का भ्रष्टाचार की बू आ रही है साथ ही सरकार को वित्तीय हानि पहुंचाई गई है।
शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भेजे गए पत्र में बताया है कि राजस्थान सरकार ने भामाशाह योजना के तहत अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में हृदय रोगियों को निशुल्क स्टंट लगाने की योजना लागू की थी परंतु इसमें बड़े स्तर पर घोटाला चल रहा है किंतु उच्चस्तरीय सांठगांठ के चलते घोटाले को जांच से बचाया जा रहा है।
कार्डियोलॉजी विभाग मैं डॉक्टरों की अनुशंसा पर 30 हजार की दर से स्टेंट खरीदा जा रहा है जबकि प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुसार साढ़े सात हजार रुपए का स्टेंट सबसे उपयुक्त है बावजूद इसके जेएलएन अस्पताल में महंगे स्टेंट लगाकर सरकार को तकरीबन साढ़े बाईस हजार रुपए का आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इससे सरकार को अब तक लगभग 2 करोड़ रुपए तक की आर्थिक हानि हुई है और संबंधित चिकित्सकों को लाखों रुपए का भ्रष्टाचार करने का मौका मिला है।
शहर कांग्रेस अध्यक्ष बताया है कि दिल्ली की फर्म कन्वर्जेंस टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से जवाहरलाल नेहरु मेडिकल कॉलेज में 67 लाख 32 हज़ार रुपए की कीमत से दो कलर डॉप्लर मशीनें खरीदी गईं। इनका कंपनी को जवाहरलाल मेडिकल कॉलेज के रेडियोलोजी डिपार्टमेंट में 30 मार्च तक इंस्टॉलेशन करने का अनुबंध था।
कंपनी से सरकार का इस बात का भी करार था कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से अप्रूवल भी संबंधित कंपनी को लेनी थी मगर जेएलएन अस्पताल के विभागीय भ्रष्टाचार के कारण बिना इंस्टॉलेशन ही कंपनी को भुगतान करवा दिया। इंस्टॉलेशन अवधि पूर्ण होने के बाद अस्पताल परिसर में रखी हुई मशीनों पर नियमानुसार कंपनी से 10 से 15 प्रतिशत जुर्माना राशि की वसूली जानी थी। कंपनी से जुर्माना राशि वसूल करने की बजाय बिना इंस्टॉलेशन के ही कंपनी को क्लीन चिट दे दी गई जो अस्पताल प्रशासन के उच्च अधिकारियों की कंपनी के साथ आर्थिक सांठगांठ का संकेत कर रही है।
कांग्रेस ने भ्रष्टाचार निरोधक विभाग के पुलिस अधीक्षक से प्रकरण में संबंधित डॉक्टरों विभागाध्यक्षों तकनीशियनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच करवा कर दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की मांग की है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अस्पताल प्रशासन की ओर से गड़बड़ियों की जांच के लिए अश्वासन और दिखावे के लिए जांच कमेटी भी बना दी जाती है पर जांच कमेटी की रिपोर्ट पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही। जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय में भर्ती मरीजों से बाजार से दवा मंगाने के मामले सामने आए हैं। मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य डॉ. अशोक चौधरी ने निरीक्षण के दौरान पाया था कि मेडिसीन विभाग की एक यूनिट में भर्ती मरीजों को वार्ड से दवा देने के बजाय बाजार से मंगवाई जा रही है। चौधरी ने मामले को गंभीर मानते हुए जांच के आदेश दिए मगर आज तक ना कोई जांच रिपोर्ट आई अगर आई भी तो आरोपी डॉक्टर को बचाने के लिए उसे दफन कर दिया गया।
कांग्रेस प्रवक्ता मुजफ्फर भारती का आरोप है कि अभी पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी के शहर अध्यक्ष अरविंद यादव ने पूर्व अस्पताल अधीक्षक डा. पीसी वर्मा और उपअधीक्षक डॉक्टर विक्रांत पर मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना की दवाओं की खरीद में भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों की शिकायत की थी। सरकार ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए अस्पताल के पूर्व उप अधीक्षक डॉ विक्रांत को एपीओ कर प्रकरण की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी थी।
जांच कमेटी की रिपोर्ट अभी तक नहीं आई लेकिन चिकित्सा विभाग ने डॉक्टर विक्रांत को बहाल कर फिर से ईएनटी विभाग में लगा दिया। अब सवाल यह उठता है कि या तो भाजपा अध्यक्ष की शिकायत गलत थी या जांच कमेटी में गोलमाल हो गया। यह तब तक पता नहीं चलेगा जब तक जांच को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।