रांची। केन्द्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत ने बुधवार को अविभाजित बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में दुमका कोषागार से 34.91 करोड़ रुपए की फर्जी निकासी में (आरसी 46ए/96) में 37 दोषियों को साढ़े तीन साल से लेकर 14 साल की सजा के साथ 50 लाख रुपए से दो करोड़ रुपए का जुर्माना किया।
ब्यूरो के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने यहां मामले में 37 आरोपियों को दोषी पाते हुए यह सजा सुनाई है। भले ही इस मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत कोई भी राजनीतिज्ञ शामिल नहीं है लेकिन मामले में पशुपालन विभाग के अधिकारी, डॉक्टर और आपूर्तिकर्ता मुख्य आरोपी बनाए गए थे। इससे पूर्व मामले में सभी दोषियों की सजा के बिंदु पर सुनवाई मंगलवार को ही पूरी हो गई थी। दोषियों में 16 पशुपालन विभाग के अधिकारी एवं डॉक्टर और 21 आपूर्तिकर्ता शामिल हैं।
मामले में दुमका के दुमका के तत्कालीन दंडाधिकारी राजीव अरूण इक्का ने 22 फरवरी 1996 को नगर थाना में पहली प्राथमिकी दर्ज करायी थी जबकि सीबीआई ने अप्रैल 1996 से मामले का अनुसंधान शुरू किया था। जांच एजेंसी ने साल 2001 में मामले में पहला आरोप पत्र दाखिल किया था जबकि 2004 में 60 लोगों के खिलाफ आरोप तय किये गये थे। मामले के विचारण के दौरान 12 आरोपियों की मौत हो गई थी। दो आरोपियों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था जबकि एक अन्य अब भी फरार है।
सजा पाने वाले पशुपालन विभाग के चिकित्सकों एवं अधिकारियों में विमल कांत दास, फ्रेडी केरकेट्टा, दिनेश्वर प्रसाद शर्मा, हरेन्द्र नाथ वर्मा, कृष्ण कुमार प्रासा, कृष्ण मुरारी साह, मनोरंजन प्रसाद, मनोज कुमार श्रीवास्तव, नंदकिशोर प्रसाद, ओमप्रकाश दिवाकर, पंकज मोहन भुई, पिंताम्बर झा, रघुनंदन प्रसाद, राधामोहन मंडल, शशि कुमार सिन्हा और शुभेंदु कुमार दास शामिल है।
वहीं, जिन आपूर्तिकर्ताओं को सजा दी गयी है, उनमें अजीत कुमार सिन्हा, अनिल कुमार सिन्हा, अरूण कुमार, अजीत कुमार वर्मा, विनोद कुमार झा, दयानंद कश्यप, दिनेश कुमार सिन्हा, गोपीनाथ दास, हरिशचंद्र अग्रवाल, एमएस बेदी, राकेश कुमार अग्रवाल, राम अवतार शर्मा, रवि उमर सिन्हा, राकेश गांधी उर्फ सुनील गांधी, राजन मेहता, संजय शंकर, संजय अग्रवाल, सुनील कुमार सिन्हा, सुशील कुमार सिन्हा और त्रिपुरारी मोहन प्रसाद शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि मामला दुमका कोषागार से जुड़ा है। इसमें पशुपालन विभाग के डॉक्टर, अधिकारी और आपूर्तिकर्ता आरोपी थे, जिसमें करीब 34.91 करोड़ रुपए की निकासी हुई थी। सीबीआई ने कुल 72 अभियुक्तों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी और कुल 42 आरोपियों पर ट्रायल चला था। साल 1991 से 1995 के बीच चारा खरीद के नाम पर इस राशि का गबन किया गया।