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श्रीराम जानकी सर्व जातीय विवाह सम्मेलन 24 को, परिणय सूत्र में बंधेंगे 40 जोड़े
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श्रीराम जानकी सर्व जातीय विवाह सम्मेलन 24 को, परिणय सूत्र में बंधेंगे 40 जोड़े

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श्रीराम जानकी सर्व जातीय विवाह सम्मेलन 24 को, परिणय सूत्र में बंधेंगे 40 जोड़े

जयपुर। सेवा भारती राजस्थान के तत्वावधान में आगामी 24 अप्रेल को हो रहे आठवें श्रीराम जानकी सर्वजातीय विवाह सम्मेलन में इस बार 40 जोडे परिणय सूत्र में बंधेंगे।

सहकार मार्ग स्थित सेवाभारती के प्रदेश कार्यालय सेवा सदन में शुक्रवार को आयो​जित प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक तुलसी नारायण ने बताया कि 24 अप्रेल को आम्बाबाड़ी स्थित आदर्श विद्या मंदिर में सर्व जातिय सामूहिक विवाह सम्मेलन हो रहा है जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर एवं जरूरतमंद परिवारों के 17 अलग अलग जातियों के 40 जोड़े दाम्पत्य जीवन की डोर से बंधेंगे।

उन्होंने बताया कि पिछले आठ साल में अब तक जयपुर में 291 जोडों का विवाह हो चुका है और इस साल भी राजस्थान के भिवाड़ी, अलवर, भरतपुर तथा दौसा में भी सेवा भारती की ओर से सामूहिक विवाह सम्पन कराए गए। भीलवाड़ा, अजमेर सहित कई जिलों में भी सामूहिक विवाह होने की योजना तैयार हो चुकी है। राजस्थान में कुल 14 जगह सर्वजातीय विवाह सम्मेलन होंगे।

संघ प्रचारक शिव लहरी ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर सेवा भारती द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में कार्य हो रहा है जिसमें प्रमुख रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र में 89926, शिक्षा क्षेत्र में 25136, सामाजिक क्षेत्र में 38909 व स्वावलंबन क्षेत्र में 20548 के क्षेत्रों में सेवा कार्य किया जा रहा है।

संघ के मातृ शक्ति संगठनों के सेवा कार्यों सहित देशभर में लगभग 1 लाख 77 हजार से अधिक सेवा कार्यों का संचालन किया जा रहा है जो अपने आप में कीर्तिमान है।

सेवा भारती के महानगर प्रचार प्रमुख जगदीश ए.पंचारिया ने बताया कि इस अवसर पर में सेवा भारती के वरिष्ठ पदाधिकारी, संघ प्रचारक मूलचंद, द्वारका प्रसाद, महेंद्र भारती, समाज सेवी रवि नैय्यर मौजूद रहे।

सामाजिक समरसता का उत्तम उदाहरण

तुलसी नारायण बताया कि सर्वजातीय विवाह से बढकर सामाजिक समरसता का कोई अन्य सटीक और उत्तम उदाहरण नहीं हो सकता। श्रीराम जानकी सर्व जातीय विवाह सम्मेलन के लिए हर समाज और जाति के समर्थ बंधु और समाजसेवी बिना किसी जाति भेद के लिए खुले दिल से सहयोग करते हैं। मन में परस्पर प्रेम है। आमजन और समाज किसी तरह का जातिवाद नहीं करता। हां, किसी समस्या को राजनीतिक चश्मे से देखा जाएगा तो वह समस्या की तरह ही आती है।