जयपुर। पातेय वेतन पर बडी जिम्मेदारी संभाल रहे शिक्षकों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। इसी कडी में सोमवार सुबह राजस्थान पातेयवेतन वरिष्ठ अध्यापक व प्रधानाध्यापक संघ के तत्वावधान में विधानसभा के बाहर शिक्षक धरने पर बैठ गए।
धरनार्थी शिक्षकों का कहना है कि राजस्थान सरकार शिक्षा विभाग में शिक्षकों की वरिष्ठता व सम्मान बचाने में असफल रही है। शिक्षकों की वरिष्ठता के आधार पर नियमित पदोन्नति से वंचित रखा जा रहा है। धरने पर बैठे शिक्षकों का कहना है कि 18:9:2009 के आदेश के अनुसार तृतीय वेतन श्रंखला अध्यापकों को प्रधानाध्यापक उप्रावि तथा बाउप्रावि व वरिष्ठ अध्यापक के पद पर पातेय वेतन पर पदोन्नति दी गई थी।
संगठन के सहसंयोजक विजयसिंह गौड ने बताया कि आदेश में निर्देश दिए गए थे कि विभाग छह माह में शीघ्र डीपीसी करे। छह माह बीत जाने के बाद न तो पातेय वेतन पाने वाले अध्यापकों को हटाया गया और न ही डीपीसी कंफर्म की गई। स्थिति यह है कि पातेय वेतन पर प्रदेश में काम करने को हजारों शिक्षक मजबूर हैं।
बीते 9 साल से पातेय वेतन वरिष्ठ अध्यापक एवं पातेय वेतन प्राधानाध्यापक उच्च प्राथमिक विद्यालय का कार्य करवाकर शोषण किया गया तथा अब नियमित पदोन्नति करने के बजाय तृतीय वण्ेतन श्रंखला अध्यापक पद में लेवल एक व लेवल दो पर लगाया जा रहा है।
सरकार के अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक, तानाशाही रवैये से राजस्थान का शिक्षक वर्ग अपने आप को अपमानित महसूस कर रहा है। शिक्षा विभाग राजस्थान ने कार्मिक विभाग राजस्थान सरकार के आदेश ए़वं माननीय न्यायालय के फैसले व आदेशों की धज्जियां उडाने मे कोई कसर नहीं छोड़ी।