शाहजहांपुर। आसाराम यौन शोषण के मामले में बुधवार को राजस्थान में जोधपुर की अदालत में सुनाए जाने वाले निर्णय से उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर निवासी पीड़िता के परिवार को न्याय की उम्मीद जागी है।
कई साल के कड़े संघर्षों के दौरान पीड़ित परिवार के ऊपर आसाराम और उसके गुर्गो ने समझौता करने का दबाव बनाया। इस मामले के कई गवाहों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी।
आसाराम प्रकरण में साढे चार साल बाद आने बाले निर्णय को लेकर पीड़ित परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद है। इस साढे चार साल के लम्बे अंतराल के दौरान पीड़ित परिवार को कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा हैं। इस दौरान आसाराम के गुर्गो ने कई बार पीड़िता को दबाब में लेने के लिए उसे बदनाम करने की साजिश रची। इस मामले के गवाह रहे कृपाल की हत्या कर दी गई।
नाबालिग बेटी के पिता ने आसाराम के आगे घुटने नहीं टेके। बेटी को न्याय दिलाने के लिए जी जान से लगा रहा और उसी का नतीजा है की पीड़ित परिवार को मामले में अासाराम को सख्त सजा मिलने की उम्मीद है। इस मामले को लेकर प्रशासन सतर्क दिख रहा है। मामले की गम्भीरता को देखते हुए ख़ुफ़िया एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया है।
पुलिस के आला अधिकारी लगातार पीड़ित परिवार से सम्पर्क बनाए हुए है। पीड़िता के घर के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। पुलिस को चौबीस घण्टे निगरानी बनाए रखने के आदेश दिए गए हैं। पुलिस की खुफ़िया निगाहें आसाराम के गुर्गो और अंधभक्तों पर भी गड़ी हुई हैं। बिना जांच पड़ताल के किसी भी अनजान व्यक्ति को पीड़ित परिवार से मिलने नही दिया जा रहा है।
गौरतलब है कि 15 अगस्त 2013 की रात में राजस्थान में जोधपुर के पास मणाई आश्रम में पीड़िता नाबालिग के साथ यौन शौषण करने की एफआईआर उसके परिजनों ने 20 अगस्त को दिल्ली के कमला नेहरू बाजार थाने पर दर्ज कराई थी। बाद में जांच के लिए एफआईआर जोधपुर पुलिस को भेजी गई।
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 31 अगस्त की रात को इंदौर स्थित उसके आश्रम से आसाराम को गिरफ्तार किया गया। इस मामले में आरोपी को निचली अदालत से लेकर सुप्रीमकोर्ट तक जमानत नहीं मिली और वह तब से जोधपुर के केन्द्रीय कारागृह में बंद है।
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