नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 के तहत 2001 में गिरफ्तारी का दंश झेल चुके आरिफ ज़फर की याचिका पर मंगलवार को केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किए।
उस वक्त करीब 49 दिन तक जेल में बंद रहने वाले जफर ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर करके धारा 377 को अपराध की श्रेणी से हटाने का न्यायालय से अनुरोध किया है। इस धारा के तहत आपसी सहमति से भी समलैंगिक संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय पीठ ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करके जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है।
जफर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने पीठ के समक्ष दलील दी कि ऐसा पहली बार हुआ है कि गिरफ्तारी का दंश झेल चुका कोई व्यक्ति अदालत से धारा 377 को निरस्त करने का अनुरोध कर रहा है। न्यायालय ने इस याचिका को भी होटल कारोबारी केशव सूरी एवं अन्य की याचिकाओं के साथ नत्थी कर दिया।