Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
एमएलए बनने के लिए सारणेश्वर महादेव की विशेष पूजा तो नहीं!
होम Latest news एमएलए बनने के लिए सारणेश्वर महादेव की विशेष पूजा तो नहीं!

एमएलए बनने के लिए सारणेश्वर महादेव की विशेष पूजा तो नहीं!

0
एमएलए बनने के लिए सारणेश्वर महादेव की विशेष पूजा तो नहीं!
sarneshwer temple sirohi
sarneshwer temple sirohi

सबगुरु न्यूज-सिरोही। जानकारी में आया है कि आजकल भाजपा की एक नेता रोज सवेरे चार बजे करीब पचास किलोमीटर लम्बा सफर तय करके सवेरे चार बजे सारणेश्वर महादेव मंदिर में होने वाली विशेष आरती में हिस्सा ले रहे हैं। जानकारी मिली की पिछले दस दिनों से यह क्रम जारी है।

इसे एमएलए का टिकिट लेने के लिए भगवान को मनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। आखिर हो भी क्यों ना। वर्तमान में सिरोही के विधायक मुंडारा माताजी के पुजारी हैं। इनका टिकिट काटने के लिए उनसे बडी सिफारिश लगाने की आवश्यकता है। और शक्ति के लिए शिव से बडी सिफारिश और क्यो हो सकती है।
-मंडल अध्यक्ष बनाने के लिए मिले भाजपाई
सिरोही मंडल अध्यक्ष सुरेश सगरवंशी का त्यागपत्र संगठन ने बिना झिझक स्वीकार कर लिया है। इसके बाद सिरोही शहर मंडल अध्यक्ष का पद खाली है। अब इस पर अपने आदमियों को बैठाने के लिए लाॅबीइंग शुरू हो गई है।

पार्टी सूत्रो के अनुसार जिलाध्यक्ष द्वारा महिपाल चारण व मांगीलाल रावल को इस पद बैठाने की कयावद किए जाने की जानकारी सामने आ रही है तो मंगलवार को सुरेश सगरवंशी की कार्यकारिणी के पदाधिकारी शंकरसिंह परिहार या माणक चंद सोनी को सिरोही मंडल अध्यक्ष बनाने की सिफारिश के साथ जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी से मिले।

चौधरी ने फिलहाल उन्हें प्रदेश के आदेश पर नियुक्ति की मीठी गोली देकर टरका दिया है। वैसे स्थानीय भाजपाइयों के अनुसार शंकरसिंह परिहार, मांगीलाल रावल, महिपाल चारण से ज्यादा निर्विवादित नाम फिलहाल शहर भाजपा में माणकचंद सोनी का है।
-सरकार ने दी भाजपाइयों को नई समस्या
बार-बार अधिकारियों को बदलवाने के लिए जयपुर जाकर सरकार को परेशान करने वाले नेताओं के राजनीतिक ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम सरकार ने कर दिया है।

चुनाव सिर पर हैं और ऐसे में सरकार ने इन भाजपाइयों की बुद्धि दुरुस्त करने के लिए ऐसे-ऐसे अधिकारी दे दिए हैं कि जिनके सर्विस रिकाॅर्ड में फाइल कछुआ गति तो क्या घेंघे की चाल से भी नहीं सरक पाती है।

ऐसे में चुनाव से पहले ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति जयपुर के प्रशासनिक गलियारों में सिरोही के नेताओं के राजनीतिक ताबूत मंे आखिरी कील ठोकने का प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।