नई दिल्ली। राजधानी के निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले के दो और दोषियों पवन गुप्ता और विनय शर्मा की मौत की सजा के विरुद्ध दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय में आज सुनवाई पूरी हो गयी और शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायालय ने इस मामले के तीसरे दोषी मुकेश की समीक्षा याचिका पर पहले ही सुनवाई पूरी कर ली थी। चौथे दोषी अक्षय ने अभी तक पुनरीक्षण याचिका दायर नहीं की है। न्यायालय ने इसके लिए उसे तीन सप्ताह का समय दिया है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश आर भानुमति और न्यायाधीश अशोक भूषण की पीठ ने विनय और पवन के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया। पीठ ने आज की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा और पवन एवं विनय के वकील एपी सिंह से अगले मंगलवार तक लिखित रूप से उनका पक्ष रखने का आदेश दिया।
राजधानी की निचली अदालत ने निर्भया गैंगरेप के चारों दोषियों मुकेश (29), पवन गुप्ता (22), विनय शर्मा (23) और अक्षय कुमार सिंह (31) को मौत की सजा सुनाई थी, जिस पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपनी मोहर लगायी थी।
उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ इन सभी ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इसने भी गत वर्ष पांच मई को मौत की सजा बरकरार रखी थी।
गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली के वसंतकुंज इलाके में छह लोगों ने निर्भया के साथ चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बाद में बस से नीचे फेंक दिया गया था। बाद में निर्भया को सिंगापुर के एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां 29 दिसम्बर 2012 को उसने दम तोड़ दिया था।
इस मामले के एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी, जबकि छठा आरोपी नाबालिग था, जो सुधार गृह से तीन साल की सजा काटकर बाहर आ चुका है।