बेंगलुरु। कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के नेता बीएस येद्दियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का आमंत्रण दिया, वे गुरुवार सुबह नौ बजे राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वहीं, कांग्रेस इस मामले को लेकर बुधवार रात में ही सुप्रीम कोर्ट चली गई है। बता दें, शपथग्रहण समारोह में पीएम मोदी और अमित शाह मौजूद नहीं रहेंगे।
भाजपा के राज्य प्रभारी मुरलीधर राव ने यहां संवाददाताओं को बताया कि राज्यपाल ने येद्दियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का आमंत्रण दिया है। उन्हें 15 दिन के अंदर बहुमत साबित करना होगा।
राज्यपाल के इस निर्णय से 117 विधायकों के समर्थन वाले कांग्रेस और जनता दल (सेक्यूलर) काे करारा झटका लगा है। दोनों दलों ने सरकार बनाने के मकसद से हाथ मिलाया था।
राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 222 सीटों पर चुनाव हुए थे। जयनगर निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार का निधन हो जाने तथा राजराजेश्वरी नगर निर्वाचन क्षेत्र में भारी संख्या में मतदाता पहचान पत्र बरामद किए जाने के कारण चुनाव रद्द कर दिया गया। इन दोनों सीटों के लिए अब 28 मई को मतदान होगा।
इन चुनावों में भाजपा को 104, कांग्रेस को 78, जनता दल (एस) को 37, बहुजन समाज पार्टी को एक और निर्दलीय को दो सीटों पर विजय हासिल हुई है।
भाजपा सबसे अधिक सीटें जीत कर सबसे बड़ी एकल पार्टी के रूप में सामने आई लेकिन कांग्रेस और जनता दल (एस) ने हाथ मिलाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। राज्यपाल ने सबसे बड़ी एकल पार्टी के तौर पर भाजपा को सरकार बनाने का आमंत्रण दिया है हालांकि वह सरकार बनाने के लिए सात सीटों के अंतर से चूक गई है।
राव ने कहा कि राज्य में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है लिहाजा राज्यपाल को येद्दियुरप्पा को सरकार बनाने का आमंत्रण देने का अधिकार है।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने एस आर बोम्मई मामले में स्पष्ट कहा था कि केवल मतदान से पहले हुए गठबंधन के मामले में गठबंधन के सभी दलों की संयुक्त संख्या के आधार पर सरकार बनाने का आमंत्रण दिया जा सकता है।
इस मामले में कांग्रेस आैर जनता दल (एस) ने चुनाव परिणाम की घोषणा होने के बाद गठबंधन किया और यह केवल भाजपा को सरकार बनाने से रोकने के मकसद से किया गया समझौता है।
राव ने कहा कि पूरी दुनिया ने चुनाव में कांग्रेस और जनता दल (एस) को एक-दूसरे से लड़ते हुए देखा है। दोनों दलों के बीच विचारधारा के स्तर पर कोई समझौता नहीं हुआ है और न ही कोई संयुक्त घोषणापत्र जारी किया गया। चुनाव के दौरान दोनों दल एक-दूसरे की आलोचना करते रहे हैं और उनके नेता तो निजी हमलों में भी लिप्त रहे हैं जो सभी लोगों ने देखा है।
राव ने कहा कि येद्दियुरप्पा अकेले शपथ लेंगे अाैर विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। इससे पहले कर्नाटक भाजपा विधायक दल ने येद्दियुरप्पा को अपना नेता चुन लिया तथा पार्टी नेताओं ने तत्काल राज्यपाल से मुलाकात कर राज्य में सरकार गठन को लेकर उनके समक्ष अपना दावा पेश किया।
येद्दियुरप्पा ने राज्यपाल को 104 विधायकों की सूची सौंपी थी और कहा था कि उनकी पार्टी बाहरी समर्थन से सरकार का गठन करने में सक्षम है। उन्होंने नई सरकार बनाने के लिए अपनी पार्टी को आमंत्रित किए जाने का राज्यपाल से अनुरोध किया है।
येद्दियुरप्पा ने राज्यपाल से भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने के लिए प्राथमिकता देने की अपील की और कहा कि वह निर्धारित समय में बहुमत साबित करने के लिए तैयार है।
इस बीच कांग्रेस और जनता दल (एस) के नेताओं ने भी राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। मुलाकात के बाद विधायकाें की खरीद-फरोख्त रोकने के मकसद से कांग्रेस ने अपने विधायकों को शहर के बाहरी इलाके में स्थित पांचसितारा होटल में और जद (एस) ने शहर के बीचोबीच स्थित एक पांचसितारा होटल में ठहराया है।