बालासाेर | अाेडिशा की तकनीकी शोधार्थी डाॅ. नुसरत माेबास्सरा संघमित्रा ने एक ऐसा उपकरण ईजाद किया है जिसके जरिये आसपास की स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बगैर कैंसरग्रस्त कोशिकाओं तक कैसररोधी दवा को पहुंचाया जा सकेगा। यह उपकरण बहुत ही सटीक और प्रत्यक्ष तौर पर काम करेगा।
डॉ. संघमित्रा द्वारा विकसित किए दवा पहुंचाने वाले उपकरण के घटक सिप्लाटिन अाैर सिग्लाे हैं। इनके माध्यम से कैंसरजनित कोशिकाओं को मारने में कारगर दवा ‘सिस्प्लाटिन’ पहुंचाने में मदद मिलेगी। इस दवा का इस्तेमाल चिकित्सा क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर किया जा रहा है। वर्तमान में, डाॅ. नुसरत भुवनेश्वर में अपने दल के सदस्याें के साथ सिका अाेन्काे साेल्युशन्स’ नामक स्टार्टअप इकाई चला रही हैं। यह मूल रूप से केअाईअाईटी-टीबीअाई अाधारित कार्यक्रम है। डाॅ. नुसरत ने इस साल तकनीकी स्टार्टअप-2018 का राष्ट्रीय पुरस्कार भी हासिल किया है। इस पुरस्कार में उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ काेविंद ने विज्ञान भवन में अायाेजित कार्यक्रम में एक प्रशस्ति पत्र अाैर पंद्रह लाख रुपए प्रदान कर सम्मानित किया था।
डॉ. नुसरत के अनुसार, इस तकनीक के पूर्ण रूप से सफल होने से यह कैंसर रोगियों के लिए वरदान और उम्मीद की एक नयी किरण साबित हो सकती है। डाॅ. नुसरत ने कहा कि परीक्षण के दाैरान सिप्लाटिन तय मानक पर खरी उतरी है और अभी तक के सभी प्रयोग सफल साबित हुए हैं। उन्हाेंने बताया, ‘इस प्राैद्याेगिकी से कैंसर मरीजाें का जीवन बेहतर हाेने के साथ साथ उन्हें इस बीमारी से लडने में काफी मदद मिलेगी।’ डाॅ. नुसरत ने बताया कि उन्हाेंने अपने विचारों और शोध (रसायन विज्ञान, बायोमटेरियल्स, सेल जीवविज्ञान और एंटीसेन्सर दवा विकास में इसके अनुप्रयोगों) कार्यों के मिले-जुले प्रयासाें से सिका अाेन्काेसाेल्युशन्स की स्थापना की ताकि प्रयाेगशाला की कुर्सी से कैंसर के मरीज के बिस्तर तक कैंसर अध्ययन के क्षेत्र में इसका प्रभाव हासिल किया जा सके और विश्व में कैंसर से लडने की कवायद में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सके।