बेंगलुरु। केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में 2014 में सरकार बनने के बाद से कांग्रेस के हाथों से एक के बाद एक राज्य छीने जाने का सिलसिला बीजेपी कायम रखे हुए है और कर्नाटक का किला हाथ से निकलने के बाद देश की सबसे पुरानी पार्टी अब मात्र तीन राज्यों पंजाब, पुड्डुचेरी और मिजोरम (पीपीएम) में सिमट कर रह गई है।
कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा आने के बाद चले नाटक का आज बीएस येद्दियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने के साथ फिलहाल पटाक्षेप हो गया है और कर्नाटक में भाजपा पांच साल बाद फिर से सत्ता पर काबिज हो गई है। राज्यपाल वजूभाई वाला ने बुधवार रात येद्दियुरप्पा को सरकार बनाने का न्यौता देते हुए पंद्रह दिन के भीतर सदन में बहुमत साबित करने को कहा है।
राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और कल मध्यरात्रि से आज सुबह तक चली सुनवाई के बाद न्यायाधीश एके सिकरी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने येद्दियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। इस मामले में अब शुक्रवार को सुनवाई होनी है।
मोदी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान रैलियों को संबोधित करते हुए कहा था कि इस चुनाव के बाद कांग्रेस पीपीपी ( पंजाब, पुड्डुचेरी और परिवार) में सिमट कर रह जाएगी। येद्दियुरप्पा के शपथ लेने के बाद अब सिर्फ तीन राज्यों पंजाब, मिजोरम और पुड्डुचेरी में कांग्रेस की सरकारें बची हैं।
मोदी के मई 2014 में केंद्र में सत्ता संभालने के बाद उनके निकटतम सहयोगी अमित शाह को भाजपा की कमान सौंपी गई। इसके बाद राज्य विधानसभा के चुनावों में दिल्ली, पंजाब और बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु आदि को छोड़ दिया जाये तो शाह की अगुवाई में भाजपा का विजयरथ आगे बढ़ता गया।
जनता दल (यू), राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के महागठबंधन के सामने बिहार में भाजपा को पराजय का मुंह देखना पड़ा था। बाद में नीतिश कुमार महागठबंधन से अलग हो गए और अब वहां भी भाजपा और जद (यू) गठबंधन की सरकार है।
कांग्रेस शासित तीन राज्यों के अलावा दिल्ली, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलगांना, केरल और उड़ीसा को छोड़ देश के अन्य राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगी सत्ता में हैं।