अजमेर। अजमेर स्मार्ट सिटी हो गया लेकिन बिजली की आंखमिचौनी का खेल बदस्तूर जारी है। इस बार बिजली आम उपभोक्ता के घर गुल नहीं हुई बल्कि वीवीआईपी तर्ज के प्रोग्राम को झटका दे गई। राज्य सरकार के मंत्रियों और शहर की जानी मानी राजनीतिक हस्तियों की मौजूदगी के बीच एक बार नहीं बल्कि छह बार बिजली ने खो-खो का खेल खेला।
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के वातानुकूलित आॅडिटोरियम में गुरुवार को बोर्ड परीक्षाओं में स्वर्ण व रजत पदक प्राप्त छात्र-छात्राओं के सम्मान में दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। इसमें बतौर मुख्य अतिथि गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के अलावा शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी, मदस विश्वविद्यालय के कुलपति विजय श्रीमाली, बोर्ड अध्यक्ष बीएल चौधरी, सचिव मेघना चौधरी मंचासीन थे।
पूरा हॉल राज्यभर से आए प्रतिभावान छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों तथा शहर की नामचीन प्रशासनिक और राजनीतिक हस्तियों से भरा था। वीवीआईपी श्रेणी की तरह पूरे आयोजन की रूपरेखा बनी हुई थी।
समारोह की शुरुआत से ही अडचनों का सिलसिला शुरू हुआ तो फिर समापन तक नहीं थमा। मुख्य अतिथि गुलाबचंद कटारिया ने दीप प्रज्वलन के लिए जलती मोमबत्ती थामे कई बार कोशिश किए पर दीपक थे कि जले ही नहीं। मंच पर चल रहे पंखे की हवा उनकी कोशिश को सफल नहीं होने दे रही थी। उनके साथ मंच पर मौजूद हर शख्स के चेहरे पर तनाव की लकीरें सी खींच गई। खेर कटारिया ने दीप प्रज्वलन की बजाय मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर जैसे समारोह का श्रीगणेश किया। दीपक भी बाद में जलाकर रखा गया।
इसके बाद उदबोधन का सिलसिला शुरू हुआ, कोई सवा बारह बजे गृहमंत्री कटारिया भी बोलने के लिए डायस पर आए, वे अपनी बात कह ही रहे थे कि दो तीन मिनट बाद बिजली गुल हो गई। बिजली आई और फिर गई, आई और फिर गई, ऐसा चार हुआ। सभागार में इस तरह बार बार बिजली जाने से मौजूद भद्रजनों की हंसी फूट ही पडी। शुक्र है कटारिया ने बिजली गुल होने के बावजूद साउंट सर्विस के बिना रुके अपनी बात पूरी की। उनकी दमदार आवाज के चलते सभागार की अंतिम पंक्ति तक उनकी बात पहुंच रही थी। इसी तरह दो बार और कार्यक्रम के बीच बिजली ने गुल होकर अपनी महत्ता का अहसास कराया।
खडे रहे कई सम्माननीय छात्र-छात्राओं के अभिभावक
बोर्ड सभागार में स्थान से अधिक आगंतुकों को निमंत्रण दे दिए जाने का खमियाजा कई छात्र-छात्राओं के अभिभावकों को उठाना पडा। समारोह में सीटें आरक्षित थीं। ऐसे में सीटें भर जाने से कई अभिभावक सभागार में खडे रहने को मजबूर थे। बोर्ड सचिव मेघना चाौधरी ने मंच से यह नजारा देख स्टाफ तक ऐसे अभिभावकों को बैठाने की व्यवस्था करने की बात संकेत में कही। कुछ अतिरिक्त कुर्सियां लगाई भी गईं लेकिन वे इतनी नहीं थी कि सब बैठ सके। ऐसे में कार्यक्रम खत्म होने तक कई अभिभावक खडे ही नजर आए।
भोजन व्यवस्था के दो पांडालों से कंफ्यूजन
दीक्षात समारोह में शिरकत करने को राज्यभर से आए छात्र-छात्राओं, अभिभावकों, आगंतुकों व बोर्ड स्टाफ के लिए भोजन व्यवस्था की गई थी। इसके लिए परिसर में दो अलग अलग पांडाल लगाए गए। जब लोग भोजन के लिए पहुंचे तो एक पांडाल के बाहर लिखा था वीआईपी और दूसरे के बाहर कुछ भी नहीं लिखा होने से असमंजस में पड गए। कुछ लोग वीआईपी पांडाल में प्रवेश कर गए तो उन्हें वहां से दूसरे पांडाल में जाने को कहा गया। इस बात पर वे कहने लगे आखिर यहां आए सभी सम्मानीय है तो फिर वीआईपी श्रेणी किसके लिए है? ऐसे में खफा होकर वे बिना भोजन किए ही निकल गए।
बाहर से आए अभ्यर्थी और बोड कर्मी भी हुए परेशान
दीक्षांत समारोह के चलते बोर्ड परिसर के भीतर किसी भी तरह के वाहन के प्रवेश पर पूरी तरह पाबंदी लगा दिए जाने से खुद बोर्ड स्टाफ को अपने वाहन बाहर सडक किनारे खडे करने पडे। ऐसे में केन्द्रीय जेल से लेकर वन विभाग तक बडी संख्या में वाहनों की कतारें लग गईं। प्रतिदिन बोर्ड कार्यालय में शैक्षणिक कार्यों के लिए राज्यभर से सैकडों विद्यार्थियों का आवागमन रहता है। ऐसे में कार्य दिवस पर दीक्षांत समारोह होने और पुलिसया पांबदी के चलते उन्हें भटकना पडा।
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