पुष्कर। अधिक मास के अवसर पर जोगणिया धाम पुष्कर में शनिवार को देवी भागवत पुराण कथा का विधिवत शुभारंभ हुआ। कथावाचक पंडित प्रकाश शर्मा ने बताया कि इस सम्पूर्ण जगत का आधार केवल प्रकृति शक्ति है। वही जीव व जगत को उत्पन्न करतीं है और उनका पालन व संहार करती है। धार्मिक आस्था में उसे सगुण व निर्गुण रूप में माना जाता है।
जब मानवीय प्रयासों के बावजूद भी विकट समस्या का निवारण नहीं होता है तो वह शरीर रूप धारण कर प्रकट होती है और विकट समस्याओं का अंत कर देती है।
जीवन के धार्मिक, वैज्ञानिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक विषय पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि संसार की समस्त स्त्रियों में इन्ही शक्तियों के अंश होते हैं अतः समस्त स्त्रियों का सम्मान करना परम आवश्यक है, अन्यथा व्यक्ति को विकट समस्याएं सदा के लिए घेर लेती हैं।
निर्गुण रूप में वे पंच महाभूतों को उत्पन्न कर सृष्टि, जगत का निर्माण करती हैं। जल, वायु, हवा, वनस्पति आदि उत्पन्न कर सबका पालन करती है। आंधी, तूफान, वर्षा व प्राकृतिक प्रकोप कर अपने तामसी रूप से मानव को नियंत्रित भी करती हैं।
उन्होंने दैवी भागवत पुराण का महात्म्य बताया। भगवान विष्णु जी के हर्यक अवतार, मधु कैटभ की उत्पत्ति, ब्रह्मा जी का चिंतित होना तथा विष्णु जी को निद्रा में देख आद्या शक्ति की आराधना करने पर उपदेश दिया। श्रद्धालु ने भक्ति रस का खूब आनंद लिया।