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सिन्धी बालसंस्कार शिविरों का रंगारंग कार्यक्रमों के साथ समापन
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सिन्धी बालसंस्कार शिविरों का रंगारंग कार्यक्रमों के साथ समापन

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सिन्धी बालसंस्कार शिविरों का रंगारंग कार्यक्रमों के साथ समापन

अजमेर। भारतीय सिन्धु सभा की अजयनगर ईकाई की ओर से आयोजित दस दिवसीय सिन्धी बाल संस्कार शिविरों का बुधवार को रंगारंग कार्यक्रमों के साथ समापन हुआ। दो शिविर में प्रशिक्षण लेने वाले 321 शिविरार्थी बच्चों ने समापन के अवसर पर सिन्धी भाषा, सिन्धी परंपरा, सिन्धी संस्कृति और सिन्धियों केे गौरवशाली इतिहास से ओतप्रोत प्रस्तुति दीं।

शिविर के दौरान सीखे गए सिन्धी भाषा के गीतों, भजनों की जब बच्चों ने मंच से प्रस्तुतियां दी तो पूरा हॉल तालियों की गडगडाहट से गूंज उठा। बेटी बचाओं बेटी पढाओं का संदेश देने वाली लघु नाटिका के जरिए बताया गया कि भ्रूण हत्या महापाप है।

सिन्धी अबाणी बोली…, जीए मुहिजी सिन्ध गोरिया पहिंजी जिन्द…, जिते जात पात जो भेद न हो मुहिजों सिन्ध देश हो प्यारो…, कोसा कोअर खणी हलयो सांई कवंरराम प्यारो… सीखें सिन्धी गीतों की प्रस्तुतियों को खूब सराहा गया। झूलेलाल, संत टेंउराम, भगत कंवरराम, दाहरसेन के जीवन चरित्र से जुडे प्रसंगों का बच्चों ने सारगर्भित रूप में प्रकटीकरण किया।

शिविर के दौरान सीखें गए कहाकों, सिन्धी बेंत, झूलेलाल के गीत, ओरणा, माता के गीत आदि की प्रस्तुति भी मंच के जरिए देखने को मिली। शहीद हेमू कालानी, दाहरसेन के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेकर बच्चों ने सिन्धियत का नाम रोशन करने का प्रण लिया।

भाषा का ज्ञान होने से बच्चे संस्कारित होते हैं : सांई ओमलाल

बच्चों को अपनी मातृ भाषा का ज्ञान, संस्कार देने से पूरा परिवार संस्कारित होता है। इसके साथ ही महापुरूषों व संतों का प्रेरणादायी सत्संग मिल जाए तो बचपन में मिली सीख से पूरा जीवन मंगलमय हो जाता है।

ये बात प्रेम प्रकाश आश्रम के सांई ओमलाल शास्त्री ने भारतीय सिन्धु सभा अजमेर की अजयनगर ईकाई की ओर से ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम व पार्वती उद्यान में आयोजित दस दिवसीय सिन्धी बाल संस्कार शिविरों के समापन के अवसर पर कही।

सिन्धी भाषा और संस्कृति को बरकरार रखने की शपथ

इस मौके पर निर्मलधाम झूला मोहल्ला के स्वामी आत्मदास व जतोई दरबार के भाई फतनदास ने शिविर में भाग लेने वाले सभी शिविरार्थी बच्चों को संकल्प कराया कि अपने घर पर मातृभाषा का उपयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि हर घर में अपनी भाषा के प्रति अनुराज तभी जगेगा जब हम खुद इसके प्रति सजग होंगे। हमारी संस्कृति, हमारी भाषा, गौरवशाली इतिहास एक पीढी से दूसरी पीढी तक पहुंचाने के काम में सहभागी बनना सभी का कर्तव्य है।

इन गणमान्यों की उपस्थिति से बढी कार्यक्रम की शोभा

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पार्षद मोहन लालवाणी, पूर्व पार्षद खेमचन्द नारवाणी रहे। अध्यक्षता मोहन तुलस्यिाणी ने की। विशिष्ठ अतिथि कमलेश र्श्मा, तुलसी सोनी, कैलाश लखवाणी राजेश वाधवाणी, ललित चंदवाणी, खियल मंगलाणी, नानकराम जयसिंघाणी, भरत गोकलाणी, भगवानदास सहित विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता उपस्थित थे।

कार्यक्रम का शुभारंभ भारता माता, सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन व ईष्टदेव झूलेलाल के चित्र पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्जवलन से किया गया। अंत में शिविर में भाग लेने वाले सभी शिविरार्थियों को प्रशस्ति पत्र व विजेताओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

100 से अधिक बाल संस्कार शिविरों का आयोजन

भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नवलराय बच्चाणी व प्रदेश महामंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने बताया कि राज्यभर में 100 से अधिक बाल संस्कार शिविरों का आयोजन पूज्य सिन्धी पंचायतों व सामाजिक संगठनों के सहयोग से किया जा रहा है। अजयनगर ​में पार्वति उद्यान और हिलटॉप दरबार स्वामी उदासीन आश्रम में आयोजित दो शिविरों के सफलतापूर्वक संचालन में संगठन मंत्री मोहन कोटवाणी, अजयनगर ईकाई अध्यक्ष रमेश लख्याणी, उपाध्यक्ष भगवान पुरसवाणी, महानगर मंत्री महेश टेकचंदाणी, रमेश वलीरामाणी, शंकर सबनाणी की अहम भूमिका रही।

8वां बाल संस्कार शिविर झूलेलाल मन्दिर नाका मदार में शुरू

शिविर संयोजक पुष्पा साधवाणी ने इसी तरह का आठवां सिन्धी भाषा व सभ्यता ज्ञान कराने वाले बाल संस्कार शिविर का शुभारम्भ नाका मदार स्थित झूलेलाल मन्दिर में किया गया। प्रेम प्रकाश आश्रम के सांई ओमलाल शास्त्री ने इस अवसर पर सभी शिवरार्थियों को आशीर्वाद दिया।शिविर में शिक्षण, गीत, संगीत के साथ खेलकूद भी करवाए जाएंगे। प्रदेश की ओर प्रकाशित पुस्तकें, कापियों का वितरण भी किया गया।