अलवर | राजस्थान के सरिस्का अभ्यारण्य में पीने के पानी की कमी ने जानवरों को परेशान कर दिया है और उनके गांवों की ओर रूख करने का संकट पैदा हो गया है। सरपंच सुरेन्द्र भारती ने बताया कि बढती गर्मी और गत वर्ष मानसून की बेरूखी के कारण अभ्यारण्य में वन्य जीवों के लिये बनाये गये एनीकटों के सूखने और वैकल्पिक वाटर सोर्स के अभाव में वन्य जीवों के लिये पानी पीने का भी सकंट बढ गया है।
सरिस्का के एसीएफ सज्जन कुमार ने बताया कि जलस्त्रोतों में लगातार घटते जल स्तर को देखते हुये वन्यजीवों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गयी है जिसके तहत ट्यूबवेल और टैंकरों द्वारा पानी पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सरिस्का में कुल 564 वाटर पॉइंट हैं जिनमें से मात्र 300 पॉइंट में पानी है शेष सूख चुके हैं । उन्होंने कहा कि इसके साथ ही वन्यजीवों के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए बीट गार्डों को स्पष्ट निर्देश दिये गये है कि जलस्त्रोंतों में पर्याप्त पानी की व्यवस्था पर निगरानी रखी जाय। उन्होंने बताया कि सरिस्का में 102 बीट गार्ड लगाये हुये है और जिन वाटर प्वाइंटों पर पानी खत्म हो जाता है वहां पर टैंकरों व अन्य माध्यमों से पानी पहुंचाया जाता है ।
उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा पानी की व्यवस्था टाइगरों के लिए उपलब्ध कराई जा रही है क्योंकि टाइगर के अलावा पैंथर सहित अन्य वन्य जीव अपने क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भी जाकर पानी पी सकते हैं , लेकिन टाइगर एक ऐसा जानवर है जो अपनी टेरिटरी को छोड़कर नहीं जाता इसलिए हर टाइगर की टेरिटरी में आने वाले वाटर पॉइंट में पानी पहुंचाया जा रहा है ।
उन्होंने बताया कि सरिस्का में पुराने बोरिंग है जो डीजल से चलते हैं। इसके अलावा पिछले साल 5 सोलर पंप लगाए गए थे जिन्हें पाइप लाइनों से जोडकर पानी पहुंचाया जा रहा है । उन्होंने बताया कि बफर एरिया में टैंकरों का सहारा लिया जाता है तालवृक्ष रेंज में पानी के लिए ट्रैक्टर का उपयोग किया जाता है जबकि टहल रेंज में टैंकर का उपयोग किया जा रहा है।