चेन्नई। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को बड़ी राहत देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने वर्ष 2011-12 में 43 लाख रुपए कर छूट मामले में उनके दावे को लेकर आयकर विभाग की किसी भी कार्यवाही पर बुधवार को रोेक लगा दी।
यह मामला 2011-12 का है जिसमें चिदंबरम ने 43 लाख रुपए की कर छूट चाहते हुए आयकर रिटर्न फाइल किया था। मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश टी एस शिवागनानाम ने अायकर विभाग की किसी भी तरह की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाते हुए मामले की अगली सुनवाई छह जुलाई तय की है।
उन्होंने अपने आदेश में कहा कि न्यायालय इस बात से आश्वस्त है कि मामले की फाइल काे दोबारा खाेला जाना न्यायोचित नहीं है अौर अब इस मामले में अंतरिम रोक रहेगी। अायकर विभाग को छह जुलाई को अपना जवाब दाखिल करने काे कहा गया है।
दरअसल यह मामला कर्नाटक में उनके परिवार के स्वामित्व वाले काफी एस्टेट में पैदा होने वाली काफी की आमदनी से जुड़ा है। चिदंबरम ने इससे होने वाली आमदनी को कृषि आय बताकर 43 लाख रूपए कर छूट का दावा किया था और वर्ष 2011-12 का अायकर रिटर्न इसी आधार पर फाइल किया था। उनके दावे के खिलाफ आयकर विभाग ने आयकर आकलन की फाइल खोले जाने के मामले मे उन्हें नोटिस जारी किए थे।
चिदंबरम ने अपनी याचिका में कहा था कि वह इस काफी एस्टेट से पैदा होने वाली काफी को कईं वर्षों से कच्चे माल के तौर पर बेच रहे हैं और इसी आधार पर अायकर विभाग से कर छूट भी हासिल करते रहे हैं। इसी आधार पर उन्होंने 2011-12 में 43 लाख रूपए कर छूट का दावा किया था लेकिन इसे भरने के चार वर्षों के बाद आयकर विभाग नें मामले की फाइल दोबारा खाेले जाने के लिए उन्हें नोटिस जारी किए हैं।
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने मामले की सुनवाई छह जुलाई तय की है और तब तक आयकर विभाग की किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी है।