Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
सेवा हमारे पुनर्जन्म के पापों को धोने का साधन : मोहन भागवत
होम Chandigarh सेवा हमारे पुनर्जन्म के पापों को धोने का साधन : मोहन भागवत

सेवा हमारे पुनर्जन्म के पापों को धोने का साधन : मोहन भागवत

0
सेवा हमारे पुनर्जन्म के पापों को धोने का साधन : मोहन भागवत
RSS chief Mohan Bhagwat calls selfless service to society
RSS chief Mohan Bhagwat calls selfless service to society
RSS chief Mohan Bhagwat calls selfless service to society

पानीपत। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक डा. मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि सेवा हमारे पुनर्जन्म के पापों को धोने का साधन है, इसलिए सेवा करने वाले को मन में अहंकार नहीं करना चाहिए, बल्कि मन में अपनत्व को रखकर सेवा कार्य करने चाहिए।

डॉ. भागवत यहां पानीपत के गांव पट्टी कल्याणा में श्रीमाधव जन सेवा न्यास द्वारा बनाए जा रहे सेवा साधना एवं ग्राम विकास केंद्र का शिलान्यास करने पहुंचे थे। इस दौरान डॉ. भागवत और जैन संत उपाध्याय गुप्ति सागर मुनिराज ने शिलान्यास एवं भूमि पूजन से पूर्व पौधारोपण भी किया।

कार्यक्रम में साधु-संतों का सान्निध्य भी रहा। इनमें गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज, रवि शाह महाराज गनौर आश्रम, स्वामी मोलड़ नाथ मडलौडा आश्रम तथा श्री माधव जन सेवा न्यास के अध्यक्ष पवन जिंदल भी मौजूद थे ।

डॉ. भागवत ने कहा कि गांव पट्टी कल्याणा में बनने वाले इस सेवा साधना एवं ग्राम विकास केंद्र को लेकर काफी पहले से विचार चल रहा था और आज इसका शुभारंभ हो गया है। यह समाज का समाज के लिए चलने वाला एक प्रकल्प है। इस प्रकल्प को खड़ा करने में यहां काम करने वाले एक मजदूर से लेकर इसकी देखरेख करने वाले संघ के अखिल भारतीय अधिकारी तक का योगदान है।

उन्होंने कहा कि जरूरतमंद को आगे बढ़ाना ही सेवा है। सामर्थ्यवान को समाज को देने की प्रवृति बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मन में अपनत्व लेकर जो कार्य किया जाता है, उसे ही सेवा कहा जाता है।

उन्होंने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति में सेवा को सर्विस कहा जाता है और जब हम किसी से सेवा लेते हैं, तो उसके बदले में हमें उसे मान-धन देना पड़ता है। लेकिन भारतीय संस्कृति में सेवा कार्य की कल्पना केवल देने की है, लेने की नहीं। हमें किसी को कुछ देते समय मन में किसी प्रकार का अहम नहीं रखना चाहिए, बल्कि हमें यह सोचना चाहिए कि हमें जो कुछ मिला यहीं से मिला और जो कुछ भी दिया यहीं पर दिया।

उन्होंने कहा कि यदि हमें मोक्ष प्राप्त करना है, तो इसके लिए हिमालय पर जाकर तपस्या करनी पड़ती है। वहीं, जब हम निस्वार्थ भाव से सेवा कार्य करते हैं, तो हमारे ह्रदय में हिमालय जैसी ऊंचाई पैदा हो जाती है। इसके बाद हमें तपस्या करने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि सेवा करने वाले को चिंतन करना चाहिए और चिंतन करने वाले को सेवा करनी चाहिए।

भारतीय संस्कृति में दान देने वालों का चरित्र वर्णित करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति में अमीरों का चरित्र लिखा जाता है जबकि भारतीय संस्कृति में अमीरों का नहीं दान देने वाले भामाशाह का चरित्र लिखा जाता है।

पाश्चात्य संस्कृति में सत्ताधीशों का चरित्र लिखा जाता है, जबकि भारतीय संस्कृति में समाज का मार्गदर्शन करने वाले भगवान राजा राम, श्रीकृष्ण, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी जैसे राजाओं का चरित्र लिखा जाता है।

उन्होंने कहा कि हमारा जन्म जीवन यापन करने के लिए नहीं बल्कि समाज को कुछ देने के लिए हुआ है। इसलिए हमें सीखा हुआ कार्य, कमाया हुआ पैसा व मिला हुआ समय समाजहित के लिए प्रयोग करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि स्वंय सेवकों द्वारा एक लाख 75 हजार से अधिक सेवा कार्य चलाए जा रहे हैं। गांव पट्टी कल्याणा में बनने वाला सेवा साधना केंद्र समाज कल्याण में बड़ा प्रकल्प बनेगा।

कार्यक्रम में केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत, विधानसभा अध्यक्ष कंवर पाल, उद्योग मंत्री विपुल गोयल, परिवहन मंत्री कृष्ण पवार, खनन मंत्री नायब सैनी, भाजपा अध्यक्ष सुभाष बराला, विधायक रविंद्र मछरौली, विधायक महिपाल, विधायक रोहिता रेवड़ी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक, क्षेत्रीय कार्यवाह, क्षेत्रीय प्रचारक बनवीर, प्रांत संघचालक पवन जिंदल, प्रांत प्रचारक विजय कुमार, प्रांत कार्यवाह देव प्रकाश भारद्वाज सहित समाज के गणमान्य लोग मौजूद थे।

गांव पट्टी कल्याण में बनने वाले सेवा साधना केंद्र के अंदर एक साथ दो हजार कार्यकर्ताओं के बैठने की व्यवस्था रहेगी। इसके लिए 500-500 व्यक्तियों के बैठने के लिए दो नए भवन भी बनाए जाएंगे। इसके अलावा इसमें पुस्तकालय, चिकित्सालय, ध्यान लगाने के लिए मेडिटेशन हाल, मंदिर, गौशाला भी बनाई जाएगी।