नई दिल्ली। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के सरकार चलाने के ‘ज्ञान’ पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इतने बिफर पड़े कि उन्होंने मोदी राज में उन्हें एक साल शासन करने की चुनौती दे डाली।
आम आदमी पार्टी सरकार ने गुरुवार को विधानसभा में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव पारित किया था। दीक्षित ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा संभव नहीं होने की बात करते हुए कहा था कि केन्द्र में किसी भी पार्टी की सरकार हो, दिल्ली की सरकार को उसके साथ मिलकर ही काम करना होगा।
दिल्ली में उपराज्यपाल के पद पर चाहे नजीब जंग रहे हों या वर्तमान अनिल बैजल, दिल्ली में सरकार चलाने के अधिकार को लेकर केजरीवाल की तकरार बराबर चलती रही है। सरकार चलाने के अधिकार का मामला न्यायालय तक पहुंचा और वहां से भी केजरीवाल को झटका भी लगा। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजधानी में उपराज्यपाल के प्रशासनिक अधिकार को सर्वोपरि माना है।
केजरीवाल शासन चलाने में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता की सलाह से काफी नाराज हुए । उन्होंने कहा कि शीला जी, आपके टाइम जनता पानी और बिजली बिलों से रो दी थी। सरकारी स्कूलों, अस्पतालों का बुरा हाल था। निजी स्कूल मनमाना शुल्क बढ़ाते थे। हमने ये सब ठीक किया। आपके समय 10 साल केंद्र में आपकी अपनी सरकार, अपने उपराज्यपाल थे। मैं चैलेंज करता हूं एक साल मोदी राज में दिल्ली चला के दिखा दो।
इतना ही नहीं, उन्होंने पुड्डुचेरी के मुख्यमंत्री का जिक्र करके कहा कि कृपया यह ज्ञान पुड्डुचेरी के मुख्यमंत्री को भी दें। पुड्डुचेरी में वी नारायणस्वामी की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार है और वहां भारतीय पुलिस सेवा की पहली महिला अधिकारी किरण बेदी उपराज्यपाल हैं। कई मौकों पर उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री में तनातनी सामने आ चुकी है।
इस बीच दीक्षित ने रविवार को कहा कि दिल्ली विशेष प्रकार का प्रदेश है और केंद्र सरकार की यहां शासन में आंशिक भूमिका है। उन्होंने कहा कि हमें सहयोग करके काम करना चाहिए। मेरे 15 वर्ष के शासनकाल में हमारा कभी भी केंद्र अथवा उपराज्यपाल से कोई विवाद नहीं रहा। काम न करने के लिए उपराज्यपाल से विवाद का बहाना नहीं चल सकता। जनता को शासन चाहिए, शिकायतें नहीं।