सबगुरु न्यज-सिरोही। सरूपगंज कस्बे के बीचोंबीच स्थित एक बेशकीमती जमीन पर शनिवार को कुछ लोगों ने घुसकर जेसीबी चलाई और वहां पर निर्माण शुरू कर दिया, पीडित ने इसका आरोप आदर्श शिक्षा समिति पर लगाया है। इस भूमि पर एक बेवा रहती है। संस्कारों और कायदों को ताक में रखने का यह काम करने का आरोप जिले में संस्कारों का संवहन करने वाली शिक्षण संस्थान की प्रबंधन करने वाली आदर्श शिक्षा समिति पर लगा है।
पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने इस प्रकरण में चुप्पी साधे रखी और बेवा को एकदम अकेला छोड दिया। पीडित का आरोप है कि शनिवार-रविवार का फायदा उठाकर आदर्श शिक्षा समिति के लोगों ने पुलिस और प्रशासन के सहयोग से यह कब्जे की कार्रवाई की है।
कब्जाधारी महिला इस भूमि पर स्टे होने की बात कह रही हैं वहीं भावरी नायब तहसीलदार कपूराराम पटेल ने बताया कि इस तरह को कोई दस्तावेज सबंधित पक्ष ने उनके सामने नहीं रखा। इसलिए दूसरा पक्ष वहां काम कर रहा है। वहीं आदर्श शिक्षा समिति के अध्यक्ष को फोन लगाने पर उन्होंने फोन नहीं उठाया।
आदर्श शिक्षा समिति जिले में आदर्श विद्या मंदिर का संचालन करती है। आदर्श विद्या मंदिर में संघ के संस्कारों का पोषण किया जाता है। इस पूरे प्रकरण में सत्ताधारी पार्टी के दो नेताओं का नाम सबसे आगे आ रहा है।
-यह है प्रकरण
विवादित जमीन पर काबिज बेवा वृद्धा देवीबाई पत्नी स्वर्गीय मीठालाल खंडेलवाल का दावा है कि ये उनकी पुश्तैनी जमीन है। इस पर उनका कब्जा करीब सौ सालों से भी ज्यादा का होने का दावा किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार 1975 के आसपास इस पूरे खसरे के कुछ हिस्से का फ्रेग्मेंटेशन हो गया था।
ऐसे में टीनेंसी एक्ट के तहत इस भूमि का राजस्थान सरकार के कब्जे में शामिल कर लिया गया था। इसे भी चेलेंज किया गया। इसके बाद भी इस पर वृद्धा और उसके परिवार का कब्जा बरकरार था। इस भूमि के बिलानाम भूमि घोषित होने पर वर्ष 2004 में वसुंधरा राजे सरकार आने पर 29 मार्च 2004 को यह भूमि आदर्श शिक्षा समिति को आवंटित करके इसका कब्जा सुपुर्दगी का पत्र दिया गया था, लेकिन वास्तव में आदर्श शिक्षा समिति का कब्जा इस पर नहीं था।
इसके लिए गत वर्ष भी आदर्श शिक्षा समिति ने जिला कलक्टर को इस भूमि पर कब्जा देने को पत्राचार किया था। लेकिन सरकारी रेकर्ड में 2004 में ही कब्जा सुपुर्दगी के दस्तावेज बनने के कारण तकनीकी रूप से प्रशासन यह नहीं कर सकता था। इस आवंटन की शर्त संख्या चार के अनुसार आदर्श शिक्षा समिति सिरोही को इस भूमि पर आवंटन तिथि के दो साल के अंदर भवन निर्माण करना था।
अन्यथा यह भूमि फिर से राज्य सरकार के अधीन हो जाती। इस आवंटन को रद्द करने के लिए जिला कलक्टर सिरोही के यहां पर वाद दायर किया गया। इसके बाद आरएए पाली के माध्यम से भी इस भूमि पर स्टे लगाया गया है। इस भूमि पर देबीबाई का कब्जा अनवरत बरकरार था और यहां पर वह सब्जी वगैरह उगाकर जीवनयापन करती थी। इसी भूमि पर स्वच्छ भारत अभियान के तहत पिछले वर्ष शौचालय भी बनाया गया है।
-यह हुआ
वृद्धा ने आदर्श शिक्षा समिति पर यह आरोप लगा है कि उनके पदाधिकारियों ने शनिवार को सरकारी छुट्टी का फायदा उठाकर उसकी भूमि पर दो दर्जन से ज्यादा लोगों के साथ प्रवेश किया। उसका कब्जा हटाया गया। इसे बाद वहां पर लगातार दिनरात निर्माण शुरू कर दिया गया।
वृद्धा सरूपगंज पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट लिखवाने भी गई, लेकिन पुलिस ने बेवा वृद्धा को अनसुना कर दिया। नायब तहसीलदार कपूराराम पटेल ने बताया कि तहसीलदार वहां गए थे। वह वहां पर दो घंटे रुके, लेकिन वृद्धा स्टे की काॅपी लेकर के नहीं आई। ऐसे में उस भूमि पर किसी तरह का स्टे नहीं होने की आदर्श शिक्षा समिति की बात पर विश्वास किया गया।
-पूरे प्रकरण में कई सवाल
1. यदि इस भूमि पर स्टे हट गया था और आदर्श शिक्षा समिति ने इस पर कब्जा नहीं होने पर उपखण्ड अधिकारी के माध्यम से कब्जा क्यों नहीं लिया।
2. समिति के दावे के अनुसार स्टे वेकेट हो गया था तो उसने काम के लिए शनिवार और रविवार का दिन ही क्यों चुना और दिन रात काम करवाने की क्या आवश्यकता थी।
3. प्रशासन की भूमिका सबसे ज्यादा संदिग्ध है। नायब तहसीलदार कपूराराम ने बताया कि इस भूमि पर शनिवार को विवाद होने पर तहसीलदार वहां पर गए थे। वहां पर उन्होंने बेवा देबीबाई से स्टे के कागजात मांगे। स्वाभाविक है कि आदर्श शिक्षा समिति से भी यह कागज मांगे होंगे। जब आवंटन की शर्त संख्या 4 के अनुसार आदर्श शिक्षा समिति ने वहां पर दो साल में भवन निर्माण नहीं करवाया था तो आवंटन के 14 साल बाद वहां निर्माण नहीं होने की सूरत में उन्हें तुरंत आदर्श शिक्षा समिति को भी काम करने से रोकना चाहिए था। क्योंकि आवंटन की शर्त के अनुसार यह भूमि राजस्व विभाग की हो चुकी थी और स्टे हटने के बाद भी इस पर राजस्व न्यायालय में वाद प्रक्रियाधीन था।
4. पुलिस की भूमिका सबसे ज्यादा संदिग्ध है। इस भूमि पर कब्जा बेवा देबीबाई का था, उनका मकान बना हुआ था। वह जब आदर्श शिक्षा समिति के लोगों के उसकी भूमि में जबरन घुसने की रिपोर्ट लेकर वहां पहुंची तो उन्होंने एक वृद्धा के साथ हो रहे इस अन्याय के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की। ुपुलिस का काम वहां पर कानून व्यवस्था बनाना था या कब्जे दिलवाने का।
5. आरोप यह भी है कि सरूपगंज में आदर्श शिक्षा समिति के तहत संचालित आदर्श विद्या मंदिर का भवन पहले से ही बना हुआ है तो फिर प्रशासन इस भूमि का आवंटन क्यों और कैसे किया।
-इनका कहना है…
हम लोगों का इस भूमि पर 100 वर्ष से कब्जा है। और यह भूमि है भी हमारी खातेदारी की। स्टे यथावत है। आदर्श शिक्षा समिति के पदाधिकारियों के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का दावा किया जाएगा।
चंदूलाल खंडेलवाल
वृद्धा के भतीजे।
जमीन पर कब्जे की शिकायत मिलने पर तहसीलदार साहब मौके पर गए थे। उन्होंने वहां पर दो घंटे तक रुककर स्टे का दावा करने वाले पक्ष के आदेश लाने की प्रतिक्षा की, लेकिन वह लोग नहीं आए।
कपूराराम पटेल
नायब तहसीलदार, भावरी
इस भूमि पर स्टे वेकेट होने के बाद भी यदि कब्जा स्टे लेने वाली पार्टी का ही था तो सामने वाले पक्ष को उपखण्ड मजिस्ट्रेट के माध्यम से कब्जा लेने की प्रक्रिया अपनानी होती है। यदि वह किसी दूसरे के कब्जे वाली संपत्ति जबरन कब्जा लेने के लिए घुसता है तो यह फौजदारी प्रकरण बनता है।
राजेन्द्र पुरी
अधिवक्ता, सिरोही।