जालंधर/पटियाला। करीब चौदह साल पहले पंजाब के जालंधर में 23 बच्चों की हत्या करने के आरोपी दरबारा सिंह की शनिवार देर रात पटियाला जेल में बीमारी से मौत हो गई।
पुलिस के अनुसार पूर्व सैनिक दरबारा सिंह की तबियत खराब होने के कारण उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। जेल अधिकारियों ने परिजनों को सिंह की मौत की सूचना दी पर पत्नी ने शव घर ले जाने से इंकार कर दिया।
1997 में बलात्कार और हत्या के एक प्रयास के मामले में दोषी पाए जाने और 30 साल की सजा मिलने के बाद दरबारा सिंह ने प्रतिशोध लेने के लिए 100 बच्चों की हत्या की कसम खाई थी।
2003 में जेल में अच्छे व्यवहार के आधार पर उसकी बाकी सजा माफ की गई और उसे रिहा किया गया जिसके बाद उसने 2004 में छह महीने के अंतराल में 23 बच्चों का अपहरण किया, उनमें से कई के साथ बलात्कार किया और हत्या कर दी। 29 अक्तूबर को पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया।
दरबारा ने कोई पश्चाताप नहीं दर्शाया और उसने पुलिस से कथित रूप से कहा कि यदि वह गिरफ्तार नहीं होता तो और बच्चों को मारता। दरबारा पर अपहरण, बलात्कार और हत्या के 18 मामले चले और 2007 में उसे तीन मामलों में बरी किया गया पर जनवरी 2008 में अदालत ने दो बच्चों की हत्या के आरोप का दोषी करार देते हुए उसे मौत की सजा सुनाई।
वर्ष 2009 में उच्च न्यायालय ने दरबारा के खिलाफ प्रमाण पर्याप्त न मानते हुए मौत की सजा खारिज कर दी। अगले वर्ष उसे एक और नाबालिग लड़की की हत्या के मामले में बरी किया गया। उसके बाद एक मामले में दरबारा को दोषी पाया गया, जिसमें पीड़िता बोल नहीं सकती थी लेकिन उसने इशारों से दरबारा की शिनाख्त की।
दरबारा ने उच्च न्यायालय में निचली अदालतों के फैसलों, जिनमें उसे दोषी पाया गया था, चुनौती दी पर उच्च न्यायालय में उसकी याचिका खारिज हो गई। बाद में उसे उम्रकैद काटने के लिए पटियाला जेल भेजा गया।
मूल रूप से अमृतसर जिले के जल्लूपुर खेरा गांव का निवासी दरबारा भारतीय सशस्त्र सेना में रह चुका था और पठानकोट में तैनात था। 1975 में उस पर एक वरिष्ठ अधिकारी मेजर वीके शर्मा से झगड़े के बाद उनके घर पर हैंडग्रेनेड फेंकने का भी आरोप लगा। हमले में श्री शर्मा की पत्नी और किशोर बेटा घायल हुए थे।
इस घटना के बाद दरबारा सिंह को सेवा से बर्खास्त किया गया और गिरफ्तार किया गया, लेकिन अदालत से वह बरी हो गया। दरबारा की पत्नी और तीन बेटों ने काफी पहले उससे नाता तोड़ दिया था।