जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक बलात्कार पीड़िता को गर्भपात की अनुमति प्रदान करते हुए भ्रूण का डीएनए सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं।
न्यायाधीश बंदना कासरेकर की एकलपीठ ने खंडवा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देशित किया है कि वह मेडिकल बोर्ड का गठन कर 18 जून को गर्भपात करवाएं।
बलात्कार पीड़िता की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि शादी का झांसा देकर आरोपी युवक ने उसके साथ 30 मार्च 2018 को बलात्कार किया था। उसके बाद वह लगातार उससे साथ शारीरिक संबंध बनाता रहा। इस दौरान उसने किसी और से शादी कर ली।
इसके बाद पीड़िता ने 20 अप्रेल को थाने पहुंचकर उसके खिलाफ बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करवाई। मेडिकल परीक्षण के दौरान 1 मई को उसके गर्भ में 6 से 7 सप्ताह का भ्रूण होने की जानकारी मिली थी। इसके बाद गर्भपात के लिए 8 मई को संबंधित पुलिस थाने और जिला चिकित्सालय में आवेदन दिए, जो उन्होंने स्वीकार नहीं किए।
गर्भपात की अनुमति के लिए उसने 26 मई को जिला न्यायालय में आवेदन दायर किया था। जिला न्यायालय ने अपने आदेश में यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया था कि ऐसी कोई मेडिकल रिपोर्ट पेश नहीं की गयी है, जिससे पीड़िता के गर्भवती रहने से उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर क्षति और जोखिम है।
जिला न्यायालय द्वारा आवेदन खारिज किए जाने के बाद उसने उच्च न्यायालय की शरण ली थी। सुनवाई के दौरान पिछले दिनों एकलपीठ ने शासकीय अधिवक्ता को निर्देशित किया था कि सीएसएमओ खण्डवा मेडिकल बोर्ड का गठन कर पीड़िता की मेडिकल जांच करवाएं और इस संबंध में अपनी रिपोर्ट पेश करें।
याचिका पर आज सुनवाई के दौरान एकलपीठ के समक्ष रिपोर्ट पेश की गई। इसमें बताया गया कि पीड़िता के गर्भ में 13 सप्ताह का भ्रूण है और नियमानुसार 20 सप्ताह के कम के भ्रूण का गर्भपात किया जा सकता है। रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद एकलपीठ ने इस संबंध में आदेश जारी किए।