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बीएसडीयू में ‘कौशल विकास संगोष्ठी‘ का आयोजन, 300 से अधिक ग्राम प्रतिनिधि हुए शामिल
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बीएसडीयू में ‘कौशल विकास संगोष्ठी‘ का आयोजन, 300 से अधिक ग्राम प्रतिनिधि हुए शामिल

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बीएसडीयू में ‘कौशल विकास संगोष्ठी‘ का आयोजन,  300 से अधिक ग्राम प्रतिनिधि हुए शामिल
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बीएसडीयू में ‘कौशल विकास संगोष्ठी‘ का आयोजन, 300 से अधिक ग्राम प्रतिनिधि हुए शामिल
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जयपुर | देश का पहला विशुद्ध कौशल विश्वविद्यालय कौशल शिक्षा की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है, जहां कौशल शिक्षा के लिए ‘एक छात्र-एक-मशीन‘ अवधारणा को अपनाया जाता है और उसका पालन भी किया जाता है, जिसके तहत मशीनों के संचालन से लेकर मशीन से अधिकतम उत्पादकता प्राप्त करने के तरीकों तक सभी प्रश्नों का उत्तर दिया जाता है। भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी (बीएसडीयू), जयपुर ने एक दिवसीय सरपंच सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें राजस्थान के विभिन्न गांवों के सरपंचों और ग्राम प्रतिनिधियों ने ग्रामीण युवाओं को कौशल विकास के प्रति जागरूक करने और उन्हें इस दिशा में प्रेरित करने के उद्देश्य से भाग लिया।

इस सम्मेलन का मकसद सरपंचों और ग्राम प्रतिनिधियों के सम्मुख भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी की क्षमताओं को प्रदर्शित करना था और इस तरह युवाआंे को कौशल युक्त बनाने की दिशा में जागरूक करने का प्रयास किया गया।
डाॅ राजेंद्र जोशी द्वारा स्थापित बीएसडीयू कौशल विकास के लिहाज से अग्रणी है। उनका मानना है कि किसी भी देश की आबादी के कौशल परिपूर्ण होने से ही उत्कृष्टता और सामाजिक-आर्थिक विकास संभव हो पाता है। बीएसडीयू ड्युअल सिस्टम आॅफ स्किल एजुकेशन (स्विस डुअल सिस्टम) की एक अनूठी अवधारणा पर काम करता है जहां प्रमुख तौर पर सैद्धांतिक ज्ञान के साथ अनुकूलित व्यावहारिक औद्योगिक प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

बीएसडीयू के प्रेसीडेंट डाॅ एस एस पाब्ला कहते हैं, ‘हमारा ध्यानयुवाओं और उद्यम विकास को समान अनुपात में कौशल युक्त बनाने पर है। अकुशल युवाओं की मुश्किलें, नौकरियों की कमी, अकुशल लोगों को अपनाने के प्रति उद्योगों की अनिच्छा और यहां तक कि इंजीनियरों को भी मामूली भुगतान मिलने जैसी समस्याओं का सामना आज की पीढ़ी को करना पड रहा है। राजस्थान में हर साल बडी संख्या में इंजीनियर तैयार हो जाते हैं, लेकिन वे अपनी पूर्ण क्षमताओं के मुताबिक रोजगार हासिल नहीं कर पाते, और शुरुआती तौर पर उन्हें 7000 से 15,000 रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता है, जबकि हमारे छात्र अपनी व्यावसायिक डिग्री के मध्य में ही 15,000 रुपए के करीब स्टाइपंड हासिल करने लगते हैं, जो बहुत आकर्षक है। हमारा मानना है कि ग्रामीण युवा सबसे मेहनती और कौशल के प्रति प्रतिबद्ध हैं और गांवों के युवाओं को कौशल युक्त बनाने से हम अपने देश को भी समृद्ध कर सकते हैं।‘

जयपुर के आसपास के गांवों से आए सरपंच और ग्राम प्रतिनिधि बीएसडीयू के कैंपस को देखकर रोमांचित हो उठे और उन्होंने जयपुर में इस तरह की स्किल यूनिवर्सिटी की शुरुआत करने पर संस्थापक और अध्यक्ष के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। ग्राम प्रतिनिधियों ने बीएसडीयू की सुविधाओं की सराहना की और इस इलाके में बीएसडीयू खोलने पर डाॅ आर के जोशी को धन्यवाद दिया और भारत में डाॅ जोशी के विजन को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए ब्रिगेडियर पाब्ला की भी सराहना की। ‘कौशल विकास संगोष्ठी‘ में सांगानेर, दूदू, फुलेरा, बगरू और अन्य अनेक गांवों के ग्राम प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।