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उत्तराखंड के सीएम त्रिवेन्द्र रावत की पत्नी पर भ्रष्टाचार के आरोप
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उत्तराखंड के सीएम त्रिवेन्द्र रावत की पत्नी पर भ्रष्टाचार के आरोप

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उत्तराखंड के सीएम त्रिवेन्द्र रावत की पत्नी पर भ्रष्टाचार के आरोप

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की ओर से भ्रष्टाचार के विरुद्ध ‘जीरो टॉलरेंस’ के नारे लगाने की पोल सोमवार को यहां पार्टी के ही एक पूर्व राज्यमंत्री ने खोल दी। उन्होंने मीडिया के सामने सम्बन्धित साक्ष्य भी प्रस्तुत किए।

सूचना के अधिकार के अंतर्गत जुटाए गए साक्ष्यों के आधार पर गढ़वाल मंडल विकास निगम लिमिटेड के पूर्व उपाध्यक्ष एवं जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में रावत की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए।

उन्होंने सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्रवीण शर्मा द्वारा प्राप्त की गई पुष्ट जानकारी के आधार पर बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की पत्नी सुनीता रावत द्वारा बिना विभागीय अनुमति के करोड़ों रुपए मूल्य की भूमि खरीदी गई है। जो सेवा आचरण नियमावली 1956 का कड़ा उल्लंघन है। सुनीता रावत देहरादून में ही अजबपुर कलां के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बतौर सहायक अध्यापक तैनात हैं।

सुनीता रावत ने 27 जुलाई 2012 और 30 नवंबर 2012 को 0.101 हैक्टेयर तथा 0.126 हैक्टेयर भूमि यानि लगभग तीन बीघा और आठ सितंबर 2010 को 833 वर्ग की आवासीय भूमि खरीदी। जिसका बाजारी भाव करोड़ों रुपए में है।

नेगी ने कहा कि मुख्यमंत्री की पत्नी पर आरोप है कि उक्त भूमि खरीदने से पहले उन्होंने कोई विभागीय अनुमति भी नहीं ली और न ही कोई सूचना अपने विभाग को दी। उक्त अनियमितता उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी नियमावली-1956 का स्पष्टता उल्लंघन है।

उन्होंने बताया कि इसकी पुष्टि इस तथ्य पर गौर करने से भी स्पष्ट है कि उक्त नियमावली के बिंदु संख्या 24 में स्पष्ट उल्लेख है कि कोई सरकारी कर्मचारी, सिवाय उस दशा में, जबकि सम्बन्धित अधिकारी को इसकी पूर्ण जानकारी हो, या तो स्वयं अपने नाम से या अपने परिवार के किसी भी सदस्य के नाम से पट्टा, रहन, क्रय-विक्रय या भेंट द्वारा या अन्यथा, न तो कोई अचल सम्पत्ति अर्जित करेगा और न ही उसे बेचेगा।

नेगी ने कहा कि सर्वविदित है मुख्यमंत्री की पत्नी एक सरकारी कर्मचारी हैं। ऐसे में सरकारी पद पर होने के नाते रावत का दायित्व भी बनता था कि अपनी पत्नी को भूमि खरीदते वक्त नसीहत दे सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और यह भूल कर बैठे कि धर्मपत्नी को विभाग से इसकी अनुमति भी दिलानी है।

उन्होंने जीरो टोलरेंस का नारा देने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से मांग की कि अगर उनमें थोड़ी सी भी नैतिकता बची है तो अपनी पत्नी के खिलाफ विभाग को कार्यवाही हेतु लिखें। संवाददाता सम्मेलन में जन संघर्ष मोर्चा के महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग सिंह, प्रभाकर जोशी, बागेश पुरोहित, प्रवीण शर्मा पीन्नी आदि उपस्थित रहे।