जयपुर । भारत में इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के साथ, यह देश स्टार्टअप्स के जरिए ग्राहकों के व्यवहार में परिवर्तन लाकर विभिन्न परंपरागत क्षेत्रों के विस्फोटक विस्तार का एक विशाल मैदान बन चुका है। पहले, यह लड़ाई ई-काॅमर्स के लिये देखी गयी जिसके प्रमुख खिलाड़ी फ्लिपकार्ट, स्नैपडील और अमेजन हैं; फिर लाॅजिस्टिक मैनेजमेंट स्टार्टअप्स की बारी आई; उसके बाद, फिन-टेक स्टार्टअप्स शामिल हुए और प्रमुख रूप से ई-वैलेट्स, निवेश, बैंकिंग एवं कर रिटर्न समाधानों पर जोर दिया जाने लगा। अब यह स्वास्थ्य सेवा बाजार की दिशा में बढ़ रहा है, जिस दिशा में भारत सरकार द्वारा भी कदम उठाये जा रहे हैं। नीति आयोग ने हेल्थकेयर को उन पांच क्षेत्रों में से एक क्षेत्र के रूप में निर्धारित किया है, जहां यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समाधान विकास पर जोर देगा, ताकि देश के सभी नागरिक समान रूप से स्वास्थ्य सुविधाएं हासिल कर सकें।
इसके विपरीत, ग्लोबल हेल्थकेयर सेक्टर आउटलुक 2018 पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में स्वास्थ्य सेवाओं एवं जानकारी हेतु मोबाइल संचार उपकरणों की बढ़ती लोकप्रियता का उल्लेख किया गया है। पहनने योग्य फिटनेस ट्रैकर्स से लेकर स्मार्ट उपकरणों एवं साइबर नेटवक्र्स तक, एम-हेल्थ बाजार महज चार वर्षों में दोगुना बढ़ गया है। दरअसल, वर्तमान में 100,000 से अधिक एम-हेल्थ ऐप्स उपलब्ध हैं और वर्ष 2017 के अंत तक हेल्थ ऐप बाजार के राजस्व को बढ़कर 26 बिलियन डाॅलर तक होने का अनुमान था। हालांकि, ये उपकरण व सेवाएं ग्राहकों को अपने स्वयं के स्वास्थ्य, फिटनेस और सामान्य कल्याण के प्रबंधन हेतु प्रोत्साहित करते हैं, और इसके व्यापक लाभ भी लिये जा सकते हैं। जनसंख्या के स्वास्थ्य की दृष्टि से, जहां स्वास्थ्य संबंधी उपचारों की 75 प्रतिशत लागत उन स्वास्थ्य समस्याओं पर खर्च होती हैं जिनसे बचा जा सकता है, ऐसे में इस तरह के प्रतिक्रिया उपकरण स्वस्थ व्यवहार परिवर्तन को आसानीपूर्वक लाने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं।
ग्राहकों के व्यवहार के बारे में मेरा पेशेंट ऐप्प के संस्थापक, मनीष मेहता बताते हैं जोमैटो, स्विग्गी, ओला, उबर और इस तरह के अनेक नये-नये खिलाड़ियों ने संबंधित क्षेत्रों में ग्राहकों के व्यवहार में परिवर्तन लाये हैं, ऐसे में अब स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की बारी है, ताकि नई-नई विपणन रणनीतियां अपनाए और ग्राहकों (मरीजों) के व्यवहार में परिवर्तन लाए। हालांकि, यहां एकमात्र चुनौती यह है कि मांग मुख्य रूप से ‘‘रेफरेंस द्वारा न कि विकल्प’’ द्वारा प्रेरित है। यह डाॅक्टर्स के सब्सक्रिप्शन पर है, जो अधिकांश मामलों में ई-फार्मेसी की मांग को बढ़ाती है।’’
तुलनात्मक रूप से , भारत में प्रति 1,000 रोगियों के लिए एक डॉक्टर है जो विकासशील देशों में निम्नतम अनुपात है। एक डॉक्टर के साथ आमने सामने बातचीत से न केवल समय लेने वाली प्रक्रिया है बल्कि विशेष रूप से निजी क्षेत्र में भी एक महंगा सौदा है। लेकिन आम तौर पर भारत में पाए जाने वाले मरीजों का व्यवहार हमेशा डॉक्टरों द्वारा आमने सामने बातचीत से परामर्श के पक्ष में होता है। हालांकि सरकारी अस्पतालों और राज्य संचालित स्वास्थ्य केंद्र या तो मुफ्त में या सब्सिडी वाले मूल्य पर परामर्श प्रदान करते हैं, परन्तू इंटरनेट उपयोग शिक्षा की कमी के कारण एम-हेल्थ के माध्यम से सभी नागरिकों के लिए इन सेवाओं तक पहुंच पाना आसान नहीं है। ऐसे में, एक प्रशिक्षित हेल्थकेयर कर्मचारी की उद्योग में मांग की जा रही है, जो इंटरनेट का उपयोग करने और स्वास्थ्य सेवाओं पर परामर्श देने पर शिक्षा प्रदान करने की दोहरी भूमिका निभा सकते हैं।
एमहेल्थ को ग्राहक के व्यवहार में परिवर्तन करने में सबसे आम चुनौती ’प्रौद्योगिकी को अपनाना’ है, जो मूल्यों और मान्यताओं, होने के तरीके और पहचान से अत्यधिक प्रभावित होती है। अनुकूल चुनौतियों पर प्रगति मौजूदा तर्क या डेटा के बारे में नहीं है। असल में, अनुकूल चुनौतियों के लिए नेतृत्व व्यवहार की आवश्यकता होती है जो प्रथाओं और दृष्टिकोणों का नेतृत्व करें और मार्केटर को वह व्यवहार संरक्षित करने व छोड़ने में सहायता कर सकें।