सोच्चि । गत चैंपियन जर्मनी रूस में भी विश्वकप खिताब की बड़ी दावेदार के रूप में उतरी थी लेकिन ओपनिंग मैच में हार से ही उसकी खिताब बचाओ अभियान की उम्मीदों को करारा झटका लगा है और ग्रुप एफ में शनिवार को स्वीडन के खिलाफ टूर्नामेंट में बने रहने के लिये उसे करो या मरो के मैच में उतरना होगा।
ब्राजील में चार वर्ष पहले चैंपियन बनी जर्मन टीम रूस में खराब लय के साथ पहुंची है जहां उसने छह में से केवल एक मैच ही जीता था। उसका यह निराशाजनक प्रदर्शन विश्वकप में भी जारी रहा और वह मैक्सिको के खिलाफ अपना पहला मैच 0-1 से हार गयी। जोआकिम लू की टीम के लिये अब विश्वकप में बने रहने के लिये हर हाल में फिश्त स्टेडियम में शनिवार को जीत दर्ज करनी होगी।
विपक्षी टीम स्वीडन अभी ग्रुप एफ में अच्छी स्थिति में है और पहला मैच कोरिया से 1-0 से जीतने के बाद वह तालिका में शीर्ष पर है जबकि मैक्सिको भी तीन अंक लेकर दूसरे नंबर पर है। वहीं गत चैंपियन जर्मनी तीसरे स्थान पर है और स्वीडन से यदि वह हारती है तो उसका बाेरिया बिस्तरा रूस से बंध जाएगा। हालांकि जर्मनी के लिये पहले भी ऐसी स्थिति पैदा हुई है लेकिन फिलहाल उसकी फार्म देखकर नहीं लगता कि वह उतनी मजबूत स्थिति में है।
पिछले मैच में आर्सेनल स्टार मेसुत ओजिल के प्रदर्शन की काफी निंदा हुई थी। जोशुआ किमिच का प्रदर्शन संतोषजनक रहा था जबकि जुलियन ड्रैैक्सलर और जुलियन ब्रैंड ने भी आखिरी समय में अच्छा खेल दिखाया। जर्मन टीम के पास युवा और अनुभवी खिलाड़ियों का अच्छा संयोजन है लेकिन स्वीडन के खिलाफ मैच के परिणाम से साफ होगा कि 58 वर्षीय लू अपनी भूमिका में बने रहेंगे या नहीं।
दूसरी ओर अंडरडॉग स्वीडन के पास पस्त जर्मनी को हराकर नॉकआउट के लिये क्वालीफाई करने का सुनहरा मौका है। स्वीडन पिछले दो विश्वकप के लिये क्वालीफाई ही नहीं कर सका था। दक्षिण काेरिया के खिलाफ आंद्रियस ग्रैंसक्वीस्ट ने स्पॉट किक पर टीम के लिये विजयी गोल दागा था।
हालांकि स्वीडन को चार बार की चैंपियन जर्मनी के खिलाफ बड़े अंतर से जीत दर्ज करनी होगी क्योंकि यदि मैक्सिको इससे पहले दक्षिण कोरिया के खिलाफ होने वाले मैच में जीत जाता है तो स्वीडन को जीत के बावजूद बाहर होना पड़ सकता है।