यह फिल्म जयपुर के पास के एक गांव की एक युवती की सच्ची कहानी के जरिये महिला सशक्तिकरण का जश्न मनाने पर आधारित है, जो रूढ़िवादी बंधनों को तोड़ अपने सपनों को पूरा करने में कामयाब होती है।
सैमसंग टेक्नीकल स्कूल पर सैमसंग इंडिया की कैंपेन फिल्म जयपुर के पास के एक गांव की एक युवती, सीमा नागर के जीवन की सच्ची कहानी पर आधारित है, जिसने प्रतिष्ठित कान्स लायंस 2018 में सिल्वर ग्लास लायंस अवार्ड जीतने में सफलता पाई है। इस कैंपेन को चेल इंडिया ने तैयार किया था।
इस कैंपेन फिल्म में सीमा नागर के जीवन की सच्ची कहानी को बड़े ही सुंदर तरीके से दर्शाया गया है जो सैमसंग टेक्नीकल स्कूल से शिक्षा और ट्रेनिंग लेकर अपने सपनों को पूरा करने और अपने पैरों पर खड़ा होने के मार्ग में आने वाली बाधाओं पर विजय पाने में सफल रहती है। इस फिल्म का फोकस उन बाधाओं और कष्टों पर है, जिनसे वह सैमसंग टेक्नीकल स्कूल में प्रवेश लेने से पहले गुजरती है और इसमें बताया गया है कि कैसे वह बड़ा सपना देखने के लिए खुद को समर्थ बनाती है। आज वह घर-घर जानी जाने लगी है और अपने समुदाय के लिए वो एक रोल माॅडल बन गई है, वो शिक्षा और टेक्नीकल ट्रेनिंग लेने के लिए किशोरियों के लिए प्ररेणास्रोत बन गई है।
जयपुर के सैमसंग टेक्नीकल स्कूल से ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सीमा ने उसी शहर में सैमसंग सर्विस सेंटर ज्वाइन किया। सीमा ने जिस टेक्नीकल स्कूल में ट्रेनिंग ली थी उसी में ही ट्रेनर के रूप में काम कर रही थी।
सैमसंग टेक्नीकल स्कूल, जो सैमसंग के सिटिजनशिप इनिशिएटिव का हिस्सा है, की शुरूआत 2013 में की गई थी और इसका मकसद प्रेक्टीकल जानकारी और संबंधित इंडस्ट्री अनुभव के संबंध में प्रतिभाशाली विद्यार्थियों की जरूरतों को पूरा करके भारत को वैश्विक विनिर्माण हब बनाने के भारत सरकार के विजन में सहयोग और सहायता करना है। भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय और विभिन्न राज्यों जैसे राजस्थान, केरल, बिहार, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और झारखण्ड के तकनीकी शिक्षा विभागों के साथ मिलकर पूरे भारत में ऐसे 22 सेंटर बनाए गए हैं।
सरकार के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ‘ अभियान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने के लिए सैमसंग ने लड़कियों और भिन्न रूप से सक्षम प्रशिक्षुओं के लिए एमएसएमई-सैमसंग टेक्नीकल स्कूल स्काॅलरशिप प्रोग्राम की भी घोषणा की है।
ये स्कूल अभी तक 4000 से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें विभन्न तकनीकी ट्रेड में काम करने के योग्य बना चुके हैं। इनमें से लगभग 70 प्रतिशत छात्रों को नौकरी मिल चुकी है, इनमें से 45 प्रतिशत सैमसंग सर्विस सेंटरों में काम कर रहे हैं। यह इनिशिएटिव सैमसंग के ‘मेक फाॅर इंडिया‘ इनिशिएटिव का भाग है और यह सरकार के स्किल इंडिया मिशन में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
सैमसंग इंडिया की कैंपेन फिल्म ने जनता का ध्यान अपनी ओर खींचा है और यू टयूब पर इसे 81 मिलियन बार देखा जा चुका है और इनमें से 24 मिलियन बार महिलाओं द्वारा देखा गया है, जो भारत में यू टयूब पर किसी विज्ञापन वीडियों को देखने का सर्वाधिक आंकड़ा है। कैंपेन रुैंचदमभ्नमठंकमए (सपने हुए बड़े) का मकसद महिला सशक्तिकरण का प्रदर्शन करना है। यह दिखाता है कि कैसे सैमसंग भारत में लड़कियों के सपनों को एक नई उड़ान दे रहा है।
कांस लायंस 2018 में ‘ग्लास द लायन फाॅर चेंज‘, संस्कृति में परिवर्तन का जश्न रोचक तरीके से मनाता है और उस काम को सम्मानित करता है जो विज्ञापन में लैंगिक के सचेतन चित्रण के जरिये लैंगिक असमानता या पूर्वाग्रहों की समस्याओं का स्पष्ट और बेबाकी से व्यक्त करता है।