झुंझुनूं। राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश संजीव प्रकाश ने प्रसव के दौरान डॉक्टर दंपती की लापरवाही के चलते प्रसूता की हुई मौत के चर्चित मामले में परिजनों द्वारा डॉक्टर दंपती को सेवा से बर्खास्त करने, उनके निजी अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने एवं उनके विरुद्ध ठोस कार्यवाही की मांग को लेकर दायर की गई याचिका पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव, निदेशक, संयुक्त निदेशक (प्रशासनिक) एवं सीएमएचओ झुंझुनू को नोटिस जारी कर 25 जुलाई को जवाब तलब किया है।
मामले के अनुसार याचिकाकर्ता सूबेदार महावीरसिंह ने एडवोकेट संजय महला के जरिए याचिका दायर कर बताया कि प्रार्थी की पुत्रवधु अनिता की मृत्यु 23 फरवरी को राजकीय बीडीके अस्पताल झुंझुनू में कार्यरत्त डॉ.दंपती डॉ. सुमन काजला एवं डॉ. नरेंद्र काजला द्वारा अपने निजी अस्पताल में ले जाकर लापरवाही से प्रसव कराने के दौरान हो गई थी।
जबकि उनके निजी अस्पताल में ब्लड व अन्य आवश्यक उपकरणों व साधनों का अभाव था। आरोप लगाया गया कि उक्त निजी अस्पताल उचित मापदंडों से परे संचालित था। प्रसव के दौरान लापरवाही से हुई मौत के इस प्रकरण की जांच प्रशासन द्वारा एक कमेटी का गठन कर सीएमएचओ, एएसपी व एडीएम द्वारा कराई गई। जिस पर कमेटी ने अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट जिला कलेक्टर को 26 मार्च 2018 को सौंपी तथा निष्कर्ष में प्रसूता की मृत्यु का कारण डॉक्टर दंपत्ति की लापरवाही माना।
बहस के दौरान एडवोकेट संजय महला ने कहा कि आरोपी डॉक्टर दंपत्ति की लापरवाही से प्रसूता की मौत हुई है तथा ये नियमों से परे जाकर ईलाज के नाम पर आवश्यक संसाधनों की कमी वाला अपना निजी अस्पताल संचालित कर आम जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे है। प्रशासन आंख मूंदे हुए है। सरकार को ऐसे मामलों में दोषियों के विरुद्ध ठोस कार्यवाही करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि ऐसे मृत्यु मामलों में जहां जांच के बाद लापरवाही साबित हो जाती है। वहां उनको एपीओ या दूसरी जगह भेज देना ही पर्याप्त नहीं है। बल्कि उन्हें सेवा से बर्खास्त कर, रजिस्ट्रेशन निरस्त कर उनके निजी अस्पताल भी सीज कर दिए जाए। उन्होंने प्रकरण के तथ्यों परिस्थितियों एवं जांच निष्कर्ष के आधार पर दोषी डॉ. दंपत्ति पर उचित कार्यवाही किए जाने की मांग की।