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हरदोई में शिक्षा की ट्रेन भा गई बच्चों को, वह ज्यादा समय स्कूल में ही गुजारते हैं
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हरदोई में शिक्षा की ट्रेन भा गई बच्चों को, वह ज्यादा समय स्कूल में ही गुजारते हैं

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हरदोई में शिक्षा की ट्रेन भा गई बच्चों को, वह ज्यादा समय स्कूल में ही गुजारते हैं
The train of education in Hardoi, children, they spend more time in school.
The train of education in Hardoi, children, they spend more time in school.
The train of education in Hardoi, children, they spend more time in school.

हरदोई । उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में गांव के बच्चों को शिक्षा की ट्रेन कुछ इस कदर भा गई कि वह ज्यादा से ज्यादा समय इसी में ही गुजारना चाहते हैं।

इलाके में इसे परियल स्कूल एक्सप्रेस नाम दिया गया है जो एक बेसिक शिक्षा विभाग के प्रधानाध्यापक के जुनून का नतीजा है। जिन्होंने अपने जुनून के चलते प्राथमिक विद्यालय की दशा और दिशा दोनों बदल डाली और कभी जर्जर रही बेसिक शिक्षा विभाग की स्कूल के इस इमारत को उन्होंने अपने निजी खर्चे से ट्रेन की बोगी का स्वरूप देकर इस तरह सजाया-संवारा कि अब इसे देखने दूर-दूर से लोग यहां आते हैं । एक प्रिंसिपल ने बगैर विभाग की मदद से ऐसा मॉडल स्कूल बना दिया जिसमें छात्र अपने आप चले आते हैं और पढ़ाई करते हैं।

हरदोई जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर प्राथमिक विद्यालय परियल की यह इमारत है। यह इमारत काफी जर्जर और पुरानी थी । स्कूल के प्रधानाध्यापक कृष्ण गोविंद सिंह ने सोशल मीडिया और फेसबुक पर किसी विद्यालय की ट्रेन की बोगीनुमा तस्वीर देखी तो अपने भी विद्यालय को आधुनिक बनाने का संकल्प लिया। उन्होंने वही फोटो अपने साथी अध्यापकों को दिखाई और सहयोग की बात की। जिसके बाद स्कूल के प्रिंसिपल और विद्यालय के कुछ शिक्षकों ने अपनी ही निजी कमाई से पूरे स्कूल को ट्रेन की बोगी का रूप देकर स्कूल की रंगत ही बदल डाली। स्कूल की ट्रेन नुमा रंगत बनाने का असर यह हुआ कि अब बच्चे यहां ज्यादा पढ़ने आते हैं और स्कूल में ज्यादा समय बिताते हैं।

सिंह ने बताया की उन्हें यह आईडिया सोशल मीडिया पर मिला था और उसी आईडिये को उन्होंने साकार करते हुए स्कूल की ईमारत को ट्रेन की बोगी का रूप दे दिया जिसके बाद से बच्चों में भी उत्साह है और बड़ी संख्या में बच्चे यहाँ पढ़ने आ रहे है।

उन्होंने बताया कि विद्यालय में पहुंचने वाले बच्चे बेहद खुश हैं ,मानो स्कूल भवन बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करता हो । पूरे विद्यालय भवन पर पेंट के माध्यम से बनवाई गई ट्रेन की बोगी जैसी चित्रकारी से बच्चों का मन स्कूल में लगता है। जिसे देखकर उन्हें एहसास होता है कि वह स्कूल में नहीं ट्रेन के डिब्बे में बैठे हैं। इसके चलते बच्चे भी स्कूल में अधिक संख्या में आते हैं और अच्छे से पढ़ाई भी करते हैं।

हालांकि विद्यालय की पुताई के लिए बेसिक शिक्षा विभाग साल दो साल में कही एक बार पुताई के लिए अधिकतम 65 सौ रुपए देता है लेकिन परियल में जिस तरह स्कूल के प्रिंसिपल और उनके स्कूल के स्टाफ ने भी अपना थोड़ा बहुत योगदान देकर स्कूल की तस्वीर बदल दी अब बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी भी स्कूल के प्रिंसिपल की इस पहल को महकमे के लिए अच्छा और बच्चों के लिए अच्छा मान रहे है।