नयी दिल्ली । लोकसभा में सदस्यों ने अनुसूचित जाति-जनजाति (एससी-एसटी) अत्याचार निवारण कानून को कमजोर करने संबंधी फैसला देने वाले न्यायाधीश को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) का अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध करते हुए उन्हें तत्काल इस पद से हटाने की आज मांग की।
कांग्रेस के के सुरेश ने शून्यकाल में यह मामला उठाया और कहा कि सरकार ने देश की बड़ी आबादी को संरक्षण देने वाले कानून को कमजोर करने संबंधी फैसला देने वाले न्यायाधीश को सेवानिवृत्त होने के बाद पुरस्कृत करके एनजीटी का अध्यक्ष बनया गया है। उन्होंने कहा कि वह संघ की विचारधारा से ताल्लुक रखते हैं, इसलिए उन्हें यह सम्मान दिया गया है।
कांग्रेस के ही मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी यह मामला उठाया और आरोप लगाया कि सरकार एससी-एसटी के लिए आरक्षण को खत्म करना चाहती है, इसलिए इस वर्ग पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए बने कानून को कमजोर करने वाले न्यायाधीश को न्यायाधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया है।
उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के विश्वविद्यालयों को हर विभाग में एक-एक पद पर नियुक्ति को आरक्षण खत्म करने की साजिश करार दिया और कहा कि क्रम से आरक्षण देने की बात करना भी अारक्षण खत्म करने का ही प्रयास है।
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि खड़गे की आशंका निराधार है और सरकार ऐसी व्यवस्था कर रही है कि किसी तरह से इस वर्ग के अधिकारों को कम नहीं किया जा सके।