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रेप के लिए फांसी की सजा वाला विधेयक लोकसभा में पारित
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रेप के लिए फांसी की सजा वाला विधेयक लोकसभा में पारित

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रेप के लिए फांसी की सजा वाला विधेयक लोकसभा में पारित
Lok Sabha passes Bill to provide death to child rape convicts
Lok Sabha passes Bill to provide death to child rape convicts
Lok Sabha passes Bill to provide death to child rape convicts

नई दिल्ली। बलात्कार के मामलों में फांसी की सजा के प्रावधान वाले विधेयक को लोकसभा ने आज ध्वनिमत से पारित कर दिया। गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक, 2018 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विधेयक में सभी आवश्यक प्रावधान किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि देश में बलात्कार के, विशेषकर 16 साल तथा 12 साल से कम उम्र की बालिकाओं के साथ बलात्कार के, काफी मामले सामने आ रहे हैं, इसलिए अपराधियों के लिए कठोर सजा के प्रावधान जरूरी हैं।

उन्होंने बताया कि 16 साल से कम उम्र की बालिका के साथ बलात्कार करने पर न्यूनतम सजा दस साल से बढ़ाकर 20 साल सश्रम कारावास किया गया है। इस मामले में अधिकतम सजा ताउम्र कैद और जुर्माना होगा। इसी तरह से 12 साल से कम उम्र की बालिकाओं के साथ बलात्कार के दोषियों को भी कम से कम 20 साल सश्रम कारावास की सजा का प्रावधान है। इन मामलों में मृत्युदंड भी दिया जा सकता है।

सोलह साल से कम उम्र की बालिकाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म की स्थिति में न्यूनतम सजा ताउम्र सश्रम कारावास और जुर्माना होगी। बारह साल से कम उम्र की बालिकाओं के साथ गैंगरेप की स्थिति में न्यूनतम सजा ताउम्र कारावास और जुर्माना होगी। इन मामलों में भी मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है। बलात्कार के अन्य मामलों में भी न्यूनतम सजा सात साल से बढ़ाकर 10 साल की गई है।

रिजिजू ने कहा कि बलात्कार के सभी मामलों में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद दो महीने के भीतर जांच पूरी करनी होगी। पहले जांच के लिए अवधि तीन माह थी। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि बलात्कार से संबंधित मामले महिला अधिकारी ही दर्ज करे तथा वह दक्ष हो। जांच का काम भी महिला अधिकारी को ही सौंपा जाएगा। बलात्कार के मामले में किसी अधिकारी के खिलाफ भी मामला दर्ज करने के लिए पहले अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी।

गृह राज्य मंत्री ने कहा कि सभी अस्पतालों के लिए बलात्कार पीड़िता का नि:शुल्क इलाज आवश्यक होगा। इसके साथ ही सुनवाई के दौरान कोई वकील पीड़िता के चरित्र पर सवाल नहीं कर सकेगा। वह अदालत में महिला के चरित्र को लेकर कोई मुद्दा नहीं उठाएगा। मामला न्यायिक मजिस्ट्रेट के संज्ञान में आने पर उसे तुरंत इसे उद्धृत करना होगा।

उन्होंने कहा कि बलात्कार से जुड़े मामलों में फॉरेंसिक जांच के लिए हर शहर में विशेष प्रयोगशालाएं बनाई जाएंगी। सुनवाई पूरी करने के लिए भी दो महीने की समय सीमा तय की गई है, जबकि अपील पर सुनवाई छह महीने के अंदर पूरी करनी होगी।

रिजिजू ने कहा कि 12 साल और 16 साल से कम उम्र की बालिकाओं के साथ बलात्कार के मामलों में अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी। हर प्रकार के अग्रिम जमानत की याचिका में आवेदक को यह बताना पड़ेगा कि उसका अपराध क्या है। उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद सिर्फ नियम बनाना नहीं है। सिर्फ नियम बनाने से कुछ नहीं होगा। उन्हें कड़ाई से लागू करने की भी जरूरत है।

यह विधेयक 23 जुलाई को लोकसभा में पेश किया गया था और आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश 2018 का स्थान लेगा जो 21 अप्रेल को लागू किया गया था।