रायपुर । भारतीय इस्पात प्राधिकरण(सेल) के रेलवे को रेलपांत आपूर्ति करने के एकाधिकार को पहली बार तोड़ते हुए निजी क्षेत्र की कम्पनी जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) ने एक लाख टन रेलपांत की आपूर्ति का आदेश हासिल किया है।
रेलवे को रेलपांत की आपूर्ति करने की वर्ष 2003 से लड़ाई लड़ रहे जेएसपीएल ने आपूर्ति का यह आदेश वैश्विक निविदा के जरिए हासिल किया है। आवश्यकता के अनुरूप सेल द्वारा रेलपांत की आपूर्ति नही कर पाने के कारण रेलवे द्वारा बुलाई गई वैश्विक निविदा में दुनिया की सात प्रमुख इस्पात कम्पनियों समेत आठ कम्पनियों ने हिस्सा लिया था।
जेएसपीएल रायपुर के अध्यक्ष प्रदीप टंडन ने आज यहां यूनीवार्ता को बताया कि कंपनी अभी एक वर्ष की अवधि में भारतीय रेलवे को लगभग एक लाख टन रेल आपूर्ति करेगी। उन्होने दावा किया कि जेएसपीएल देश का इकलौता तथा दुनिया का सातवां निजी क्षेत्र का निर्माता है जो हेड हार्डन्ड रेल का उच्च क्वालिटी का निर्माण करता है। उन्होने कहा कि वैश्विक निविदा के जरिए ही सही रेलवे को रेलपांत आपूर्ति करने का यह आदेश मिलना कम्पनी प्रबन्धन एवं पूरी टीम के लिए गौरवशाली क्षण है।
दरअसल आजादी के बाद से ही रेलवे को रेलपांत की आपूर्ति छत्तीसगढ़ स्थित सेल के भिलाई इस्पात संयंत्र से होती रही है।जेएसपीएल ने रेलपांत की उच्च तकनीक से निर्माण क्षमता हासल करने के साथ ही 2003 से रेलवे को रेलपांत आपूर्ति करने की लड़ाई लड़ता रहा है।वह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) में भी मामला ले चुका है पर वहां से काफी अनुकूल टिप्पणियों के बाद भी उसको रेलवे में आपूर्ति का मौका नही मिला।
टंडन ने कहा कि वैश्विक निविदा के माध्यम से जेएसपीएल को मिले इस आदेश के साथ ही कम्पनी को यकीन है कि यह सिर्फ शुरुआत है,और वह आगे रेलवे के लिए देश में नेटवर्क के निर्माण और आधुनिकीकरण के लिए दीर्घकालिक साझेदार के रूप में वह उभरेगी।उन्होने कहा कि कम्पनी तेजी से निर्माण एवं आपूर्ति शुरू करने के लिए तैयार है।उन्होने कहा कि जेएसपीएल का लक्ष्य आगामी वर्षों में प्रस्तावित रेलवे आधारभूत संरचना आधुनिकीकरण में अपनी भागीदारी को बढ़ाना है।
जेएसपीएल के छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में स्थित 3.6 एम.टी.पी.ए. एकीकृत इस्पात संयंत्र में ही एक मिलियन टन प्रति वर्ष (एम.टी.पी.ए.) क्षमता के रेल मिल का संचालन हो रहा है।कंपनी पहले ही भारत के समर्पित फ्रेट कॉरिडोर के लिए ईरान और बांग्लादेश के राष्ट्रीय रेलवे को रेल आपूर्ति कर चुकी है।वर्तमान में ही कंपनी की क्षमता 121 मीटर लंबाई तक एवं 480 मीटर, तीन वेल्ड के साथ उच्च स्थायित्व तक के लिए एकल रेल बनाने की है।
रेलपांत आपूर्ति में सेल का एकाधिकार खत्म होने की यह शुरूआत मानी जा रही है।जानकारो के अनुसार कीमतों को लेकर मिलने वाली कड़ी चुनौती का सामना करने में सेल को काफी मुश्किल आ सकती है।फिलहाल छत्तीसगढ़ के लिए शुकून की बात यह है कि सेल आपूर्ति करे या फिर जेएसपीएल उसकी मिट्टी पर निर्मित रेलपांत पर ही भारतीय रेल आने वाले वर्षों में भी दौड़ती रहेंगी।