पटना । बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय के लोगों के अधिकार को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद देश की राजनीति में मचे घमासान के बीच आज दावा किया कि एससी और एसटी के अधिकार को कोई नहीं छीन सकता।
कुमार ने यहां अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति उद्यमी योजना के शुभारंभ के मौके पर आयोजित राज्यस्तरीय कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद कहा, “कुछ लोग नकारात्मक बातें करते हैं और यह उनकी आदत में शामिल है। मैं सकारात्मक ढंग से काम करने में विश्वास करता हूं। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अधिकार को कोई छीन नहीं सकता है। इस धरती पर से आरक्षण कोई समाप्त नहीं कर सकता है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से संबंधित उच्चतम न्यायालय के दिए गए फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार अध्यादेश लाने जा रही है, किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि केवल बोलने से अधिकार नहीं मिलता है बल्कि उसके लिए जरूरी कदम उठाने पड़ते हैं और सकारात्मक पहल करनी पड़ती है। लोग पढ़ेंगे, तभी आगे बढ़ेंगे।
कुमार ने कहा कि बिहार में पहली बार उनकी सरकार बनने के बाद जब सर्वेक्षण कराया गया तो पता चला कि 12.50 प्रतिशत बच्चे विद्यालय से बाहर हैं, उनमें से सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक और दलित समुदाय के बच्चे हैं। अल्पसंख्यक समुदाय और अनुसूचित जातियों के बच्चों को साक्षर करने के लिए टोला सेवक एवं तालिमी मरकज बहाल किए गए।
उन्होंने कहा कि राज्य में शिक्षा की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए 22 से 23 लाख नए स्कूली कमरों का निर्माण भी कराया गया है और लाखों शिक्षकों का नियोजन कराया गया। सरकार और जनता के बीच संवाद स्थापित करने के लिए विकास मित्र का नियोजन किया गया।
मुख्यमंत्री ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति उद्यमी योजना के शुरू होने पर खुशी जाहिर करते हुये कहा कि दो महीने पूर्व इस योजना की रुपरेखा बनी और आज इसकी शुरुआत हुई। इस योजना के तहत तीन हजार आवेदन प्राप्त हुए, उनमें से 500 लोगों का चयन हुआ है और अब उन्हें प्रशिक्षित करना है।
उन्होंने कहा कि 135 लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है और 150 लोगों का प्रशिक्षण प्रारंभ हो रहा है। इस योजना के लाभार्थियों के लिए न्यूनतम योग्यता इंटरमीडिएट है। उन्हें खुशी है कि लाभार्थियों की सूची में स्नातक(विज्ञान), स्नातकोत्तर(विज्ञान), स्नातक(प्रौद्योगिकी), औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) से डिग्री प्राप्त लोगों का चयन हुआ है। ऐसे उद्यमी एससी एवं एसटी समाज के लोगों को प्रेरित भी करेंगे।
कुमार ने कहा कि साथ ही पहले से चली आ रही योजनाओं का लाभ भी एससी-एसटी समुदाय के लोगों को मिलता रहेगा। इस योजना के तहत लाभार्थी को 10 लाख रुपये की राशि मिलेगी, जिसमें से पांच लाख रुपये की राशि विशेष प्रोत्साहन योजना के तहत अनुदान के रूप में उपलब्ध होगी। वहीं, शेष पांच लाख रुपये ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 84 किस्तों में अदा करना होगा। यह किस्त तब से शुरु होगी, जब उद्योग की शुरुआत हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि अपने बिहार के एससी-एसटी समुदाय के युवा हर प्रकार की उद्यमिता अपने राज्य में शुरू कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि एसटी समुदाय की युवा-युवतियां इसे कार्यान्वित कर खुद तो लाभान्वित होंगी ही, साथ ही दूसरों को भी रोजगार उपलब्ध कराएंगी। सभी जिले से लाभार्थी का चयन हुआ है। उन्हें उम्मीद है कि चयनित लाभार्थी बेहतर तरीके से काम करेंगे और अच्छे प्रदर्शन से अपने समाज को प्रेरित करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक सकारात्मक अवधारणा नहीं होगी, तब तक समाज का विकास नहीं हो सकता है। उनकी सरकार ने हर वर्ग के लिए काम किया है। कमजोर वर्ग, महिलाओं, एससी-एसटी की बेहतरी के लिए काम किया है। एससी-एसटी समुदाय के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। महादलितों के कौशल विकास के लिए काम किया गया है। उन्होंने कहा कि अब महादलितों को मिलने वाली विशेष सुविधा एससी-एसटी वर्ग के लोगों को भी मिलेगी।
एससी-एसटी टोले में सामुदायिक भवन का निर्माण किया जा रहा है। किसानों के लिए कृषि रोडमैप लाया गया। राज्य में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए निवेश नीति लागू की गई है। उन्होंने कहा कि समाज के सभी तबकों के लिए काम किया गया है और जो समाज की मुख्यधारा से जो पीछे छूट गए हैं, उन्हें जोड़ने के लिए विशेष तौर से काम किया जा रहा है।
कुमार ने कहा कि राज्य में 93 लाख महिलाएं आठ लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह के माध्यम से जुड़कर अनेक क्षेत्रों के लिए काम कर रही हैं। दस लाख स्वयं सहायता समूह बनाने का लक्ष्य है। वर्ष 2015 में सात निश्चय योजना की शुरुआत की गयी, जिसके तहत विकास के कई काम किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि शराबबंदी का लाभ सभी वर्गों को मिल रहा है लेकिन इस व्यवसाय पर जो लोग निर्भर थे, उनके लिए सतत् जीविकोपार्जन योजना के तहत वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था स्वयं सहायता समूह के माध्यम से की जा रही है। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी के लिए निर्मित पुराने छात्रावासों के जीर्णोद्धार के साथ ही नए छात्रावासों का निर्माण कराया जा रहा है। दोनों समुदाय के विद्यार्थियों के लिए प्रतिमाह 1000 रुपये की छात्रवृत्ति और मुफ्त में अनाज उपलब्ध कराने की भी योजना है।
मुख्यमंत्री ने उद्योग विभाग से कहा कि लगातार आवेदन आते रहे, उनका चयन होता रहे और प्रशिक्षण की व्यवस्था भी बनी रहे। इस संबंध में यदि कोई परेशानी हो रही है तो उसके लिए प्रस्ताव लाये जायें। ऐसा तंत्र विकसित किया जाये, जिसमें इससे संबंधित कठिनाईयों का समाधान हो सके। कार्यक्रम को उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह, भवन निर्माण मंत्री महेश्वर हजारी, परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला, कला संस्कृति मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री रमेश ऋषिदेव, विधायक श्याम रजक, विधान पार्षद् अशोक चौधरी, उद्योग विभाग के प्रधान सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर विधायक प्रभुनाथ राम, विधान पार्षद् दिलीप चौधरी एवं रामचंद्र भारती, दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश पासवान, राज्य अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष विद्यानंद विकल, राज्य महादलित आयोग के पूर्व अध्यक्ष हुलेस मांझी, बिहार राज्य हस्तकरघा बुनकर सहयोग संघ लिमिटेड के अध्यक्ष नकीब अंसारी, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष के. पी. एस. केशरी, चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान के निदेशक बी. मुकुंद दास, विकास आयुक्त शशि शेखर शर्मा, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष वर्मा, बिहार महादलित विकास मिशन के कार्यपालक पदाधिकारी गोपाल सिंह सहित उद्योग विभाग के अन्य वरीय पदाधिकारी एवं अन्य लाभार्थी उपस्थित थे।