नयी दिल्ली । सरकार को हर्बल औषधी और उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में पिछले तीन सालों में 809 शिकायतें मिली हैं। आयुष राज्य मंत्री पाद येसो नाईक ने मंगलवार को राज्यसभा में एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय को हर्बल औषधी और उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में लिखित रूप में और ऑनलाइन भी शिकायतें मिल रही हैं। उपभोक्ता मामलों के विभाग की वेबसाइट पर भी शिकायतें दर्ज करायी गयी हैं। भारतीय विज्ञापन मानक परिषद भी प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में आने वाले विज्ञापनों की निगरानी रखती हैं।
उन्होंने बताया कि 809 में से 274 शिकायतों का निपटारा कर दिया गया है जबकि अन्य शिकायतों पर राज्य सरकारों ने कार्यवाही की है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद , सिद्ध और यूनानी औषधों से संबंधित ‘जड़ी बूटी औषधियां ’ तथा ‘नैदानिक परीक्षण’ शब्द औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 और उसके तहत बनायी गयी नियमावली में निर्धारित नहीं की गयी है। लेकिन मंत्रालय को मिली कुछ शिकायतें इन पहलुओं की ओर इशारा करती हैं। तमिलनाडु और केरल में जडी बूटी औषधि तथा उत्पादों का सेवन करने से मौत की दो घटना मंत्रालय के संज्ञान में आयी हैं।
नाईक ने बताया कि आयुष उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों और उनमें किये गये दावों की जाचं के लिए केन्द्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं। केन्द्र ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे इस काम के लिए राजपत्रित अधिकारियों की नियुक्ति करे। इस दिशा में कदम उठाते हुए 22 राज्यों ने 621 अधिकारियों की नियुक्ति की है।