नयी दिल्ली । सरकार ने कुष्ठ रोगियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से एक संशोधन विधेयक लोकसभा में आज पेश किया।
विधि एवं न्याय राज्य मंत्री पी.पी. चौधरी ने सदन में निजी विधि (संशोधन) विधेयक, 2018 पेश किया जिसका उद्देश्य कुष्ठ रोगियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करना तथा उन्हें समाज की मुख्यधारा में वापस लाना है। इस विधेयक के जरिये सरकार विवाह विच्छेद अधिनियम 1869, मुस्लिम विवाह विच्छेद अधिनियम 1939, विशेष विवाह अधिनियम 1954, हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 तथा हिन्दू दत्तक एवं भरण-पोषण अधिनियम 1956 में संशोधन करना चाहती है, ताकि उनके उन उपबंधों का खत्म किया जा सके, जो कुष्ठ रोगियों के प्रति भेदभावपूर्ण हैं।
विधेयक के उद्देश्य और कारणों में इस बात का जिक्र किया गया है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ‘कुष्ठ रोग से ग्रस्त व्यक्तियों और उनके परिजनों के प्रति विभेद का उन्मूलन’ विषय पर वर्ष 2010 में एक संकल्प स्वीकार किया था। भारत ने उस पर हस्ताक्षर किये हैं और इस संकल्प का समर्थन किया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने तीन जनवरी 2008 को एक बैठक के दौरान अन्य बातों के साथ-साथ निजी विधि संशोधन विधेयक एवं अन्य संबंधित कानूनों में संशोधन की सिफारिश की थी।
देश के 20वें विधि आयोग ने ‘कुष्ठ रोग से ग्रस्त व्यक्तियों के प्रति विभेद का उन्मूलन’ नामक अपनी 256वीं रिपोर्ट में कुष्ठ रोग से ग्रस्त व्यक्तियों के प्रति विभिन्न कानूनों में विभेदकारी उपबंधों को हटाने की भी सिफारिश की थी। इतना ही नहीं उच्चतम न्यायालय ने भी हाल ही में कुष्ठ रोगियों के पुनर्वास एवं समाज की मुख्यधारा से उन्हें जोड़ने के लिए आवश्यक कदम उठाने के वास्ते केंद्र एवं राज्य सरकारों को निर्देश दिया था।