मैं ना तो हारा हूं और ना ही हारूंगा। मैं सदैव विजेता रहा हूं और सदा ही विजेता ही बना रहूंगा। जो मेरे अस्तित्व को मिटाने आए थे वो खुद ही मिट गए और जो मुझे लूटने खसोटने आया उसे मैंने खुले आम उसके लिए सारे खजाने खोल दिए क्योंकि मैं दाता हूं और दया व दान मेरी संस्कृति है।
जो मुझ पर राज करने आया उसे मैंने अपने सिंहासन पर बैठा कर खुला छोड़ दिया ओर वह भी एक दिन मुझसे परेशान हो कर भाग खडा हुआ। जो मुझ पर तह दिल से रहने के लिए आया उसका भी मैंने स्वागत कर उसे अपना लिया। उसे राज सुख वैभव सब कुछ दिए ओर इस दुनिया से जाने के बाद भी मैंने उनकी यादगार को सुरक्षित रखा। जिसने मेरे टुकड़े करने की कोशिश की तो मैंने भी उनके टुकड़े कर डाले क्योंकि वक्त की वही मांग थी।
मैं सभी तरह से सक्षम था और आज भी हूं। चांद सितारों की दुनिया से लेकर धरती के हर कोने कोने तक मैने हर स्थिति में भी अपने नाम के डंके पूजवाए। धर्म, विज्ञान और दर्शन का उपदेश दुनिया को सदा ही मैं देता आया हूं और देता रहूंगा। मैं योगी भी हूं तो मैं एक सफल वैज्ञानिक भी हूं। मैं ही कर्म को करने वाला हूं तो मैं ही अन्नदाता हूं।
मैं अर्थशास्त्री हूं तो मैं ही समाज शास्त्री हूं और मैं ही श्रेष्ठ दार्शनिक रहा तो मैं ही कुशल चिकित्सक रहा। इस दुनिया में सदा ही मैं सबका सहयोगी और मित्र बनकर रहा तो मैं ही एक मजबूत योद्धा की तरह लडता रहा।
अपनापन, विश्वास, एकता, प्रेम, सहयोग और समन्वय मेरे आभूषण रहे। मैंने अपने पराए, मित्र शत्रु सभी को गले लगाए रखा लेकिन जिसने मुझे अहंकार वश ललकारा उसको मैंने अपने बाहुबल का परिचय भी दे दिया। मैंने कभी भी कायरता नहीं दिखाई और सब कुछ लुटा देने के बाद भी मैं ही विजेता रहा हूं और आज भी हूं। मेरी शौहरत का गुणगान यह दुनिया करती है। मैं इस धरती पर भारत हूं, हिन्दुस्तान हूं।
सौजन्य : भंवरलाल