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atal bihari vajpayee kidnap untold story in hindi by ghanshyam tiwari - VIDEO वाजपेयी के अनसुने किस्से घनश्याम तिवारी की जुबानी - Sabguru News
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VIDEO वाजपेयी के अनसुने किस्से घनश्याम तिवारी की जुबानी

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VIDEO वाजपेयी के अनसुने किस्से घनश्याम तिवारी की जुबानी
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atal bihari vajpayee kidnap untold story in hindi by ghanshyam tiwari

Jaipur: हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अब नहीं रहे, लेकिन उनके जीवन से जुडे किस्से और घटनाएं आज हम आपसे शेयर करेंगे। इसके साथ ही उनके बारे में कुछ ऐसी जरूरी बातें बताएंगे जो आप जानकर अचंभित हो जाएंगे। जी हां, दोस्तों जयपुर के बीजेपी के पूर्व वरिष्ठ कार्यकर्ता और वर्तमान में भारत वाहिनी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष घनश्याम तिवारी ने अपनी जुबानी अटलजी के बारे में काफी कुछ बताया।

तिवारी ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी का राजस्थान से काफी गहरा रिश्ता रहा था। उन्हें राजस्थान की मिठाइयां काफी ज्यादा पसंद थीं। तिवाडी के बताने से जाहिर होता है कि वाजपेयी राजस्थान से काफी जुड़ाव रखते थे और मिठाइयों के काफी शौकीन थे।

अटल बिहारी वाजपेयी का अपहरण !

घनश्याम तिवारी ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी उनके सखा की तरह रहे, हालांकि वे खुद अटलजी का बहुत सम्मान करते थे और आज भी करते हैं। क्योंकि वे ही उनके पथ-प्रदर्शक एवं प्रेरणास्त्रोत रहे हैं।

अटलजी के बारे में एक महत्वपूर्ण बात का जिक्र करते हुए घनश्याम तिवारी ने अपने इंटरव्यू में कहा कि बात उस जमाने की है जब शिमला बॉर्डर के अधिवेशन जिसमें कि पाकिस्तान को राजस्थान का कुछ हिस्सा देने की बातें हुई थीं, उस दौरान एक आंदोलन शुरू किया गया था जिसका नाम गड़रा आंदोलन था तथा उसके संयोजक घनश्याम तिवारी थे।

अटल बिहारी वाजपेयी ने इससे जुडे हुए थे। इसी के चलते उन्होंने भी वहां जाकर कार्यभार संभाला। एक दिन की बात है जब रात के समय घनश्याम तिवारी को किसी गांव में जाना पड़ा।

रात्रि में अटल बिहारी वाजपेयी स्टेशन पर अकेले ही घूम रहे थे और पाकिस्तान की सेना उस जगह से महज 3 से 4 किलोमीटर दूरी पर ही। पाक सेना को वाजपेयी के वहां होने की खबर लग गई और पाक सेना स्टेशन पर पहुंचने वाली थी कि भारत की सेना की गाड़ी वहां पहुंची और अटल बिहारी वाजपेई का अपहरण होने से बचा लिया।

घनश्याम तिवारी बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी का जयपुर व सीकर में कार्यकर्ताओं से काफी अच्छा संबंध था। इस मित्रवत भाव के चलते ही जब भी वे जयपुर या सीकर आते तो उनका यहां के साथी कार्यकर्ताओं से जरूर मिलना होता था।