शिमला । हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज माना कि प्रदेश में सरकारी विभागों के लिए आउटसोर्स की जाने वाली नौकरियों में न तो आरक्षण का प्रावधान है, न कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन दिया जाता है।
ठाकुर ने प्रश्नकाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य राकेश सिंघा, कांग्रेस के हर्षवर्धन चौहान और भारतीय जनता पार्टी के विनोद कुमार के संयुक्त सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस समय सरकार के विभिन्न विभागों में आउटसोर्स कर्मचारियों के रूप में 15831 लो नियुक्त हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन नियुक्तियों में अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग के आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की भविष्य में इनमें आरक्षण मुहैया कराने की कोई योजना नहीं है।
ठाकुर ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार इनकी सेवाएं नियमित नहीं कर सकती। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के एक आदेश का हवाला दिया कि नियमित नौकरियां समुचित नियुक्ति प्रक्रिया के जरिये ही दी जा सकती हैं। उन्होंने माना कि विभिन्न विभागों के अनुबंधित कर्मचारियों तथा यूनियनों की तरफ से इस तरह की मांगें उठती रही हैं कि इन्हें भुगतान किया जाने वाला पारिश्रमिक बढ़ाया जाये अथवा उन्हें नियमित किया जाये।
उन्होंने यह भी माना कि ऐसे कर्मचारियों का ठेकेदार शोषण करते हैं। हालांकि इसका ठीकरा उन्होंने पिछली सरकार पर फोड़ा और कहा कि नियमित करने का आश्वासन देकर आऊटसोर्स कर्मचारियों का शोषण किया जाता है जबकि आऊटसोर्स नियुक्तियों में नियमित करने का कोई प्रावधान होता ही नहीं। उन्होंने कहा कि चूंकि इन कर्मचारियों की सेवाएं सरकारी कार्यों के लिए इस्तेमाल की जाती हैं इसलिए उनकी कोशिश रहेगी कि इन्हें नियमित रोजगार मिलता रहे पर सरकार उन्हें नियमित नहीं कर सकती।