अजमेर। कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर रविवार को अजमेर में पहली बार सांझी कला को मांडना विधि द्वारा चित्रांकित करने के लिए संस्कार भारती अजमेर इकाई की ओर से रविवार को दोपहर 3 बजे लोक कला भवन वैशाली नगर में कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा।
कार्यशाला का संयोजन चित्तौड़ प्रांत के भू- अलंकरण प्रमुख संजय कुमार सेठी ने कहा कि कार्यशाला पूर्णतया निःशुल्क रहेगी जिसमे महिलाएं व बालिकाएं भाग ले सकती है।
संस्कार भारती के महासचिव महेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि ब्रज में मन्दिरों में इन दिनों सांझी सजाई जाती है। यह एक लोकोत्सव है। सांझी अर्थात सायं (सांझ) ब्रज की अधिष्ठात्रि राधारानी और भगवानकृष्ण का सायं को मिलन लीला।
द्वापर युग से चली आ रही यह अनूठी परंपरा समय अन्तराल के साथ विलुप्त होने के कगार पर है। नगर के कुछ ही मंदिर में जीवित ब्रज की धार्मिक संस्कृति की द्योतक इस कला को समय और लोगों में कला के प्रति उत्साह की कमी ने धुधंला कर दिया है।
उसी मर्यादा को जीवित रखते हुए ब्रज की अविवाहित कन्याएं आज भी पुष्प और सूखे रंगों से आंगनों को सांझी से सजाती है। लेकिन समय के साथ सांझी सिर्फ सांकेतिक रह गई है, इस अनोखी लोक कला को पुनर्जीवित करने का प्रयास हम सभी को मिलकर करना चाहिए।